निर्मम कुम्हार की थापी से
कितने रूपों में कुटी-पिटी
हर बार बिखेरी गई किंतु
मिट्टी फिर भी तो नहीं मिटी।
आशा में निश्छल पल जाए, छलना में पड़कर छल जाए।
सूरज दमके तो तप जाए रजनी ठुमके तो ढल जाए,
यो तो बच्चों की गुड़िया-सी, भोली मिट्टी की हस्ती क्या
आँधी आए तो उड़ जाए, पानी बरसे तो गल जाए,
फसलें उगती, फसलें कटती लेकिन धरती चिर उर्वर है।
सौ बार बने सौ बार मिटे लेकिन मिट्टी अविनश्वर है।
1 सूरज के दमकने पर मिट्टी पर क्या असर पड़ता है?
i वह तपकर मज़बूत हो जाती है
ii यह जल जाती है
iii. वह सूख जाती है।
iv. वह गर्म हो जाती है।
IL 'यो तो बच्चों की गुड़िया सी' में कौन-सा अलंकार है?
1 उत्प्रेक्षा
i उपमा
iii. अनुप्रास
iv. रूपक
III. मिट्टी कब ढल जाती है?
। सुबह होने पर
ii. डॉन निकलने पर
HL दिन छिपने पर
iv. रात होने पर
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वह तपकर मजबूत हो जाती है
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वह मजबूत हो जाती है
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iv. वह गर्म हो जाती है। IL 'यो तो बच्चों की गुड़िया सी' में कौन-सा अलंकार है? 1 उत्प्रेक्षा
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