India Languages, asked by pratibharathod378, 10 months ago

निर्णय लेने की प्रक्रिया को विस्तार से समझाइए​

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Answered by Anonymous
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Explanation:

किसी प्रबन्धक का महत्वपूर्ण कार्य निर्णय लेना है। पीटर ड्रकर का इस सम्बन्ध में यह विचार है कि प्रबन्धक जो कुछ भी करता है , निर्णयों के द्वारा ही करता है। हम जानते हैं कि प्रशासकों को दिन–प्रतिदिन अनेक कार्य करने पड़ते हैं और इन कार्यों को करने के लिए उनके पास अनेक विकल्प होते हैं, इन विकल्पों में से सर्वोंत्तम विकल्प कौन सा है, इसका निर्धारण करना 'निर्णय' लेना है।

टेरी ने इस सम्बन्ध में कहा है कि 'प्रशासकों का जीवन ही निर्णय लेना है। टेरी के शब्दों में यदि प्रशासक की कोई सार्वभौमिक पहचान है , तो वह है उसका निर्णय लेना। प्रशासक को अपने निर्णय प्रबन्ध के कार्यों–नियोजित संगठन, निर्देशन, नियन्त्रण आदि के अन्तर्गत ही लेने पड़ते हैं। दूसरे शब्दों में , हम कह सकते हैं कि निर्णयन प्रबन्ध प्रक्रिया में सर्वव्यापक है।

साइमन का यह विचार कि निर्णय लेना ही प्रशासन है , बहु त उचित प्रतीत होता है। साइमन के शब्दों में हम सहमत हो या न हो परन्तु यह निर्विवाद सत्य है कि निर्णय ही प्रशासन का हृदय है।

प्रशासन में निर्णय निश्चित प्रक्रिया के परिणाम होते हैं। निर्णय प्रक्रिया की तीन विशेषताएं होती हैं –

(१) कोई भी निर्णय लक्ष्योन्मुख होता है , निर्णय सामान्यत: किसी प्रयोजन या लक्ष्य को पूरा करने के लिए किया जाता है।

(२) निर्णयों की एक क्रमिक श्रृंखला होती है , कोई भी निर्णय अकेला नहीं होता, वह अपने पहले के और बाद के निर्णयों से किसी न किसी रूप से जुडा रहता है।

(३) कोई भी निर्णय किसी खास अवधि में होता है , जिससे सहगामी घटनाएं परिणाम को प्रभावित करती रहती हैं।

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