नारी नरक ना जाने सब रत्नों की खान है हरिजन उज्जय सोया रत्नों की खान ह
please tell me the meaning of this doha by Kabir dass
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जब तक यह शरीर काम भावना से युक्त है तब तक समस्त नर-नारी नरक स्वरूप हैं। किंतु जो काम रहित होकर परमात्मा का स्मरण करते हैं वे परमात्मा के वास्तविक भक्त हैं।
नर-नारी सब नरक है, जब लग देह सकाम।
कहै कबीर ते राम के, जैं सुमिरैं निहकाम॥
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