Hindi, asked by svsriramam2958, 1 year ago

नारी सुरक्षा के उपाय Passage 100 to 120 word

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Answered by Bhoomicharu
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महिलाओं की सुरक्षा का मामला आज हर समाज के सामने एक बड़ा विषय है. देश-दुनिया के बाकी हिस्सों की तरह बिहार-झारखंड में भी महिलाओं की सुरक्षा चुनौतीपूर्ण मसला है. कानून, प्रशासन और समाज, सभी परेशान हैं. महिलाएं हिंसा व यौन उत्पीड़न से सुरक्षित रह सकें, इसके लिए तरह-तरह के उपाय ढूंढ़े जा रहे हैं, लेकिन कोई नुस्खा नहीं मिल पा रहा है. वर्षो से इस पर बहस जारी है. पर, सरकारी- गैरसरकारी कोशिशों के बावजूद कोई बड़ी सफलता मिलती नहीं दिख रही. बिहार-झारखंड में कुछ ज्यादा ही सावधानी जरूरी है. यहां सुनियोजित तरीके से इस स्थिति को बदलना होगा. इस मामले में इन राज्यों की स्थिति अखिल भारतीय स्थिति से ज्यादा गड़बड़ है. हाल तक बिहार में 15 से 50 वर्ष तक की उम्र वाली महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न व हिंसा के मामलों का प्रतिशत 56 रहा है, जबकि ऐसे ही मामलों का अखिल भारतीय प्रतिशत 35 है. इससे स्पष्ट है कि बिहार के लोगों को ज्यादा गंभीरता से इस पर सोचना होगा. इसमें दो राय नहीं कि राज्य सरकार अपने स्तर पर हरसंभव प्रयास कर रही है. महिला विकास निगम अपने ढंग से महिलाओं के हित में काम कर रहा है. इस क्षेत्र के विशेषज्ञों से सुझाव लिये जा रहे हैं. प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा की चिंता घटे, इस पर सरकारी स्तर पर जो काम हुए हैं और हो रहे हैं, उनके नतीजे दिख भी रहे हैं. राजधानी पटना ही नहीं, दूसरे छोटे-बड़े शहरों में भी दृश्य बदला है. पर, इन बदलावों के बावजूद ध्यान रखना होगा कि बलपूर्वक किये गये उपाय ज्यादा प्रभावी नहीं होते. जैसे-जैसे दबाव घटेगा, वर्तमान में अतीत की झलकियां दिखने लगेंगी. इसलिए जरूरी है कि महिलाओं की सुरक्षा को लेकर समाज में नये सिरे से चेतना का प्रवाह सुनिश्चित हो. खासकर आर्थिक, सामाजिक-सांस्कृतिक चेतना का प्रवाह. क्योंकि, कानून और सजा के भय से तो बात बनती नहीं दिख रही. रेप व मर्डर के अभियुक्त धनंजय चटर्जी को अगस्त 2004 में कोलकाता सेंट्रल जेल में दी गयी फांसी का असर ज्यादा दिनों तक नहीं टिक सका. ऐसे में सामाजिक व सांस्कृतिक चेतना जगाते हुए महिलाओं के खिलाफ हिंसा को अंजाम देनेवालों के मन में यह बात बैठानी जरूरी है कि उन्हें क्यों ऐसे काम नहीं करने चाहिए.


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