नारी सुरक्षा के विषय मे साहित्य सामग्री का संग्रह करवाई
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धरती पर जन को जाया जिसने वो कल्याणी नारी है।जिसने पाल - पोष कर किया बड़ा हर अवतारी नारी है
ब्रह्मा के संग सृष्टि रचना का श्रेय जिसे वो नारी है
इसीलिए निर्जर सम जग में स्थान है जिसका नारी है
देवी जैसी पूजा हो जिसकी उसका नाम ही नारी है
पर खुले भेड़िये घूम रहे कुछ नर पिशाच व्यभिचारी है
क्या कोई पाश नहीं बचा कर सके कैद बेखौफों को
कानूनों का है न डर उनको छाई कैसी अँधियारी है
सब्र बाँध का जनमानस के अब तो बिलकुल टूट रहा
सुरक्षा-नारी का अब तक तो बिल्कुल झूठ रहा
घूम रहा हवसी बेखौफ जो भी यहां दरिंदा है
बेटी रोती जलती है पर खलनायक जिंदा है
नारी अस्मत के लोभी यहां,भरे पड़े हैं मोदी जी
इनके लिये अब तो ऐसा कानून बनाओ मोदी जी
खिलौना समझे नारी को वो चौराहों पर झूल सके
मध्य रात्रि को भी बेटी आजादी से फिर घूम सके
नहीं कर सको खुद तो अब जनता को खुद करने दो
दरिंदे जो भी घूम रहे उनका दहन हमें खुद करने दो।।
- नीरज कुमार द्विवेदी
गन्नीपुर - श्रृंगीनारी
बस्ती - उत्तर प्रदेश
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