- 'नारी सम्मान' के बारे में अपने विचार 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
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प्राचीन काल में भारतीय समाज में नारी का महत्व पुरुष से अधिक था एक समय में तो नारी का स्थान पुरुष से इतना अधिक बढ़ गया था कि पिता के नाम के स्थान पर माता का ही नाम प्रधान होकर परिचय का सूत्र बन गया था धर्म ग्रंथों में नारी को श्रद्धा माई और पूजनीय मानते हुए कहा गया है कि जहां नारी की पूजा और प्रतिष्ठा होती है वहीं देवता निवास करते हैं
प्राचीन काल में जो नारी का स्थान था उसमें धीरे-धीरे कुछ अपूर्व परिवर्तन आए अबे पुरुष से महत्वपूर्ण होकर उसके समक्ष श्रेणी में आ गई और उसने परिवार के भरण-पोषण का उत्तरदायित्व संभाल लिया तू घर के अंदर के सभी कार्यों का बॉस नारी ना उठाना प्रारंभ कर दिया इस प्रकार पुरुष और नारी कार्य में बहुत अंतर आ गया ऐसा होने पर भी प्राचीन काल में नारी की दशा में विशेष परिवर्तन आया या पुरुष के लिए भोग विलास की सामग्री मात्र बनकर रह गई भारतीय नारी घर की चारदीवारी में कैद होकर रह गई परतंत्रता जैसे उसके भाग्य में ही लिखी हो नारी जन्म से लेकर किशोरावस्था तक पिता के अधीन रहती है विवाह के बाद तो गुलामी चरम सीमा पर पहुंच जाती है उसके पति की नौकरानी बनकर रहना पड़ता है बचपन में उसमें सम्मान भाव अधिक होता है प्रौढ़ावस्था में व सेवा की साक्षात मूर्ति होती है और वृद्धावस्था में वे साक्षात करुणा और वात्सल्य की प्रतिमूर्ति होती है
शिक्षा के प्रचार-प्रसार के फल स्वरुप अब नारी कि वह दुर्दशा नहीं है जो कुछ अंधविश्वासों रूढ़िवादी विचारधारा या अज्ञानता के फल स्वरुप हो गई थी नारी कॉर्नर के सामान्य स्थिति में लाने के लिए समाज चिंतकों ने इस दिशा को उजाड़ दिया और कार्य करना आरंभ कर दिया नारी को पुरुष से बढ़कर माना गया है
नारी के प्रति अब साहित्य में श्रद्धा और विश्वास की पूरी भावना व्यक्त की जाने लगी है
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई महारानी दुर्गावती इंग्लैंड की महारानी क्यों न विक्टोरिया श्रीमती इंदिरा गांधी मदर टेरेसा तथा श्रीमती किरण बेदी के नाम से भी परिचित है नारी और समाज में प्रतिष्ठित और सम्मानित हो रही है अबे घर कि नहीं घर की लक्ष्मी ही नहीं अभी तो घर से बाहर समाज का दायित्व संभालने के लिए आगे बढ़ाया घर कीचार दिवारी मैं अपने कदमों को बढ़ाती हुई समाज की अपंग दशा को सुधारने के लिए कार्यत हो रही हैं इसके लिए वह पुरुष के सम्मान और अधिकार को प्राप्त करते हुए पुलिस को चुनौती दे रही है आज की नारी जल थल वायु में स्वतंत्र विचरण करने के साथ-साथ एक और जहां विश्व की सबसे ऊंची चोटी पर विजय प्राप्त कर रही दूसरी ओर कल्पना चावला के रूप में अध्यक्ष अमाउंट्स कर भी अपने सबला होने की अनुमति करा रही है मैं पुरुष को यह अनुभव कराने के साथ-साथ उसमें चेतना भर रही है कि नारी में किसी प्रकार की शक्ति और क्षमता की कमी नहीं है केवल अवसर की प्रतीक्षा होती है सन 2000 के सिडनी ओलंपिक में भारत के पदक जीतकर भारत की प्रतिष्ठा को बनाए रखने वाली करणम मल्लेश्वरी बीमारी है इस प्रकार नारी का स्थान हमारे समाज में आज बहुत प्रतिष्ठित है
Answer:
नारी का धरती पर सबसे सम्मानीय रूप है माँ का, माँ जिसे ईशवर से भी बढ़कर माना जाता है तो माँ का सम्मान को कम नहीं होने देना चाहिए। माना आज की संतान अपने मां को इतना महत्व नहीं देती जो कि गलत है। ... तो उसका सम्मान करे ना की अपमान ! नारी को को और अपने आप को शर्मिंदा ना करे।
Explanation:
मार्क अस ब्रायनलीयेस्त