नारी शिक्षा का महत्त्व ' विषय पर अनुच्छेद लेखन कीजिए |
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शिशु की पहली अध्यापिका या गुरु माँ होती है और जो प्रारंभिक शिक्षा शिशु अपने घर में ग्रहण करता है वो उसे दुनिया के किसी विद्यालय में प्राप्त नहीं हो सकती अतः मनुष्य के सर्वांगीणविकास के लिए उसे शिक्षित होना आवश्यक है और जब बात नारी की आती है तो ये नितान्त आवश्यक हो जाती है।अर्थात् जब् तीन उत्तम शिक्षक एक माता, दुसरा पिता, और तीसरा आचार्य हो तो तभी मनुष्य ज्ञानवान होगा। यदि हम वर्तमान परिस्थिति कि चर्चा करे तो अब नारी शिक्षा के क्षेत्र में बहुत आगे निकल चुकी है, शिक्षित नारी आजकल के सभी क्षेत्रों में पदार्पण कर चुकी है, वह एक महान नेता, समाजसेविका, चिकित्षक, निदेशक, वकील आदि महान पदों पर कुशलता पूर्वक कार्य करके अपनीअद्वितीय क्षमता को दिखा रही है।भारत सरकार भी अनेक ऐसी योजनाए ले कर आयी है जो नारी को शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं जैसे बेटी बचाओ बेटी बढ़ाओ योजना, कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय योजना, राष्ट्रीय प्रोत्साहन योजना इत्यादि। ऐसा कहा जाता है की महिलाएं कुशल प्रसाशक होती है, भारत जिसे एक पुरुष प्रधान देश की संज्ञा दी जाती है उस देश का प्रतिनिधित्व यदि एक महिला करती है तो ये स्वयं में इस बात का प्रमाण है की शिक्षा एक ऐसा शस्त्र है जो नारी को इस काबिल बना देता है को वो किसी देश का प्रतिनिधित्व कर सके।अभी हाल में भारत में हुए चंद्रयान-२ के प्रक्षेपण के लिए बनायीं गयी टीम का नेतृत्व महिलाओं ने किया था, ये सिर्फ इसलिए संभव हो पाया क्योकि उन्होंने सम्बंधित क्षेत्र में उच्च शिक्षा प्राप्त की थी। एक नारी जीवनपर्यन्त बेटी, बहन, पत्नी एवं माँ जैसी किरदारों का निर्वाह करती है और इनका निर्वाह करते हुए जो कठनाईया आती हैं उनका सामना करने का आत्मबल उन्हे शिक्षा प्रदान करती है। शिक्षा नारी को आत्मनिर्भर बनाने में सहायक होती है और उसमे स्वालम्बन के गुणों का भी विकास करती है।