नारी शक्ति पर अपने विचार लिखिए
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Explanation:
नारी समाज का एक महत्वपूर्ण अंग है जिसके बिना समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। नारी के अंदर सहनशीलता, धैर्य, प्रेम, ममता और मधुर वाणी जैसे बहुत से गुण विद्यमान है जो कि नारी की असली शक्ति है। यदि कोई नारी कुछ करने का निश्यचय कर ले तो वह उस कार्य को करे बिना पीछे नहीं हटती है और वह बहुत से क्षेत्रों में पुरूषों से बेहतरीन कर अपनी शक्ति का परिचय देती है।
प्राचीन काल से ही हमारे समाज में झाँसी की रानी, कल्पना चावला और इंदिरा गाँधी जैसी बहुत सी महिलाएँ रही है जिन्होंने समय समय पर नारी शक्ति का परिचय दिया है और समाज को बताया है कि नारी अबला नहीं सबला है। आधुनिक युग में भी महिलाओं ने अपने अधिकारों के बारे में जाना है और अपने जीवन से जुड़े निर्णय स्वयं लेने लगी है। आज भी महिला कोमल और मधुर ही है लेकिन उसने अपने अंदर की नारी शक्ति को जागृत किया है और अन्याय का विरोध करना शुरू किया है।
आज के युग में नारी भले ही जागरूक हो गई है और उसने अपनी शक्ति को पहचाना है लेकिन वह आज भी सुरक्षित नहीं है। आज भी नारी को कमजोर और निस्सहाय ही समझा जाता है। पुरूषों को नारी का सम्मान करना चाहिए और उन पर इतना भी अत्याचार मत करो की उनकी सहनशीलता खत्म हो जाए और वो शक्ति का रूप ले ले क्योंकि जब जब नारी का सब्र टूटा है तब तब प्रलय आई है। नारी देवीय रूप है इसलिए नारी शक्ति सब पर भारी है। नारी से ही यह दुनिया सारी है।
हम सब को नारी शक्ति को प्रणाम करना चाहिए और आगे में उनकी मदद करनी चाहिए क्योंकि यदि देश की नारी विकसित होगी तो हर घर, हर गली और पूरा देश विकसित होगा।
Explanation:
अर्थात् हिरयन्गर्भ् ने अपने शरीर के दो भाग किये आधे से पुरुष और आधे से स्त्री का निर्माण हुआ। समाज का निर्माण स्त्री एवं पुरुष के संयोग से हुआ है, अतः समाज के संचालन के लिए जितनी अवश्यकता पुरुष की है उतनी ही स्त्री की भी। प्राचीन समय से स्त्री ने समाज के विकास एवं संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
हालांकि तब स्त्री की दशा बहुत शोचनीय थी, उन्हें बहुत सी सामाजिक कुरीतियों का सामना भी करना पड़ता था , जब राजा राम मोहन राय, ईश्वरचंद विद्यासागर जैसे महान विचारक एवं समाज सुधारको ने इन कुरीतियों से स्त्री को होने वाली हानियों को अनुभव किया तो उन्होंने नारी स्वाधीनता की आवाज़ उठाई, जिससे स्त्रियों में कुछ जगृति के लक्षण उत्पन्न होने लगे और अनेक महिलायें आगे आकर राष्ट्र निर्माण के मानकों में भाग लेने लगी एवं अपनी विद्या, बुद्धि एवं कर्तव्य शक्ति के बल पर समाज में उच्च स्थान प्राप्त किया और मानव समाज का मार्गदर्शन कराने में प्रशंसनीय कार्य कर दिखाया।