Hindi, asked by studentofclass8, 1 year ago

नारी तू केवल श्रद्धा है आज के समय मे कवि की पंक्ति कितनी सारथक है अपने विचारो के माध्यम से सपष्ट कीजिए ।

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Answered by Anonymous
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कोमल किसलय के अंचल में नन्हीं कलिका ज्यों छिपती-सी,
गोधुली के धूमिल पट में दीपक के स्वर में दिपती-सी।
मंजुल स्वप्नओं की विस्मृति में मन का उन्माद निखरता ज्यों -
सुरभित लहरों की छाया में बुल्ले का विभव बिखरता ज्यों -
वैसी ही माया से लिपटी अधरों पर उँगली धरे हुए,
माधव के सरस कुतूहल का आँखों में पानी भरे हुए।
नीरव निशीथ में लतिका-सी तुम कौन आ रही हो बढ़ती?
कोमल-बाहें फैलाये-सी आलिंगन का जादू पढ़ती!
किन इंद्रजाल के फूलों से लेकर सुहाग-कण राग-भरे,
सिर नीचा कर हो गूँथ रही माला जिससे मधु धार ढरे?
पुलकित कदंब की माला-सी पहना देती हो अन्तर में,
झुक जाती है मन की डाली अपनी फलभरता के डर में।
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