Sociology, asked by ritiksharmapilni, 3 months ago

नारित मातृतमा माया, नास्ति मातृसमा गतिः
नालि मातृलम जाणं, नास्ति मातृसमा प्रिया​

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Answered by Hitanshiipachkawde
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Answer:

माता के तुल्य कोई छाया नहीं है। माता के तुल्य सहारा नहीं है। माता के सदृष कोई रक्षक नहीं है तथा माता के समान कोई प्रिय वस्तु नही है

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