'नारित्व का अभिसाप' निबंध का सारांश लिखे!
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क मूल्य और भाषा
प्रश्न 9. 'नारीत्व के अभिशाप' निबंध वर्तमान समय में किस तरह प्रेरणास्रोत बन सकता है? समझाइए।
उत्तर- छायावादी काव्य की बृहच्चतुष्टयी में महादेवी वर्मा एक महत्त्वपूर्ण हस्ताक्षर हैं। मूलतः कवयित्री एवं कवि संवेदना की स्वामिनी होने के बावजूद उनके संस्मरण, निबंध, रेखाचित्रों की विशेषताओं से युक्त होते हैं । 'नारीत्व के अभिशाप' निबंध में उन्होंने आज की विसंगति, स्त्री के त्याग को, आत्मनिवेदन को,बड़े से बड़े बलिदान को उसकी दुर्बलता के अतिरिक्त और कुछ नहीं माना है, इस सामाजिक विसंगति पर महादेवी जी ने बार-बार प्रहार किया। यह निबन्ध वर्तमान में प्रेरणास्रोत है, निबन्ध में स्त्री की स्थिति का प्राचीन काल से वर्तमान काल तक का सजीव चित्रण है । नारी ने अपनी शक्ति को कभी जाना और कभी नहीं । वर्तमान युग तो उसको स्वयं की शक्ति न पहचानने की करुण कहानी है। उसके आज के और अतीत के बलिदानों में उतना ही अंतर है जितना स्वेच्छा से किये जौहर और बाल से अग्निप्रवेश कराने वाली सती में होता है। बचपन से लेकर वृद्धावस्था तक स्त्री पुरुषों के मुताबिक चलती है, उसके चरित्र को बार-बार दूसरों के मुताबिक एक रूपरेखा धारण करनी पड़ती है। स्त्री चाहे स्वर्णपिंजर की बंदिनी हो चाहे लौहपिंजर की, परंतु बन्दिनी तो वह है ही।