निर्देश : निम्नलिखित पद्यांश के आधार पर उत्तर दीजिए : यों ही बहुत पहले कभी कुरुभूमि में, नर-मेघ की लीला हुई जब पूर्ण थी, पीकर लहू जब आदमी के वक्ष का, वज्रांग पाण्डव भीम का मन हो चुका परिशांत था, और जब व्रत मुक्त-केशी द्रौपदी, मानवी अथवा ज्वलित, जाग्रत शिखा प्रतिशोध की, दाँत अपने पीस अंतिम क्रोध से रक्त वेणी कर चुकी थी केश की, केश-जो तेरह बरस से थे खुले। - यह पद्य कहाँ से लिया गया है ? (A) कुरुक्षेत्र (B) द्वापर (C) वेणीसंहार (D) इनमें से कोई नहीं
Answers
Answered by
0
यह पद्य कुरुचेत्र से लिया गया है।
Similar questions