Hindi, asked by rohitpaneer, 9 months ago

निर्देशानुसार अपने विचार व्यक्त कीजिये:
Answer the following according to the instructions giv
1. मनुष्य और पक्षियों के बीच कैसा संबंध होना चाहिए और मनुष्यों को
पक्षियों की सुरक्षा के लिए क्या करना चाहिए। इस विषय पर अपने
विचार लिखिए । (200 to 250 words)

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Answered by Anonymous
5

Answer

पशु-पक्षियों के प्रति सभी को संवेदनशील होना चाहिए। आप जैसा अपने बच्चों को सिखाते हैं, बच्चे भी वैसा ही सीखते हैं। यदि आप पशु-पक्षियों के प्रति संवेदनशील हैं, तो आपके बच्चे भी संवेदनशील होंगे। बेजुबान जानवरों की तकलीफ को देख उनकी मदद के लिए आगे आना चाहिए। ये शिक्षा बच्चों को नईदुनिया गुरुकुल की कहानी दुश्मन नहीं, दोस्त बने के माध्यम से दी गई। गुरुकुल के अंतर्गत स्मॉल वंडर्स स्कूल में दुश्मन नहीं, दोस्त बनें कहानी संतोष राजपूत ने सुनाई। बच्चों ने इस कहानी को उत्साह के साथ सुना और जाना की हम भी छोटे-छोटे प्रयास करके पशु पक्षियों की मदद कर सकते हैं। घर के छतों में सकोरे में पानी, चावल के दाने डालकर रख सकते हैं। जिससे पक्षी आपके घर के छत पर बैठकर आराम से दाना पानी ले सकें। पहले गौरेया अक्सर हर घर के बाहर घोंसला बनाकर रहती थी। सुबह होते ही उनकी चहचहाहट सुनाई देने लगती थी। आधुनिक समय में लोगों के घर भी आधुनिक है। जिसमें झरोखे नहीं होते। पक्षियों को कोई अच्छी जगह नहीं मिलती। खाने के लिए दाना नहीं मिलता। जिससे उनकी संख्या कम होती जा रही है। हमें इस बारे में सोचना चाहिए। कैसे हम पशु पक्षियों की मदद कर सकते हैं।

घर पर रखते हैं सकोरे

गर्मी के दिनों में घर के छत में पक्षियों के लिए सकोरे रखते हैं। इसके साथ ही हर रोज चावल के दाने गैलरी में रखते हैं। ये मेरी मां करती हैं। यही वजह है कि मेरे घर पर गौरेया रोज आती हैं।

भारत पशु सुरक्षा और संरक्षण की दिशा में आज भी दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले बहुत पिछड़ा हुआ है। हम मूक पशुओं का दोहन करने में अवश्य आगे रहते हैं मगर स्वास्थ्य की देखभाल और चिकित्सा में पीछे हैं। यही कारण है कि दुनिया में सर्वाधिक पशु होने के बावजूद उनका पूरा फायदा नहीं उठा पाते। छोटे-छोटे देश भी दुग्ध उत्पादन में हमसे आगे है। इसका एक मात्र कारण हमारी बेजुबान पशुओं के प्रति उदासीनता है। आज जरूरत इस बात की है कि हम खुद भी जगें और दूसरों को भी जगाएं तभी मूक पशुओं का समय पर उपचार कर पाएंगे। अक्सर देखा जाता है कि हम अपने परिवारजनों का भी समुचित इलाज नहीं करा पाते फिर पशु तो बेचारा अपनी बीमारी और लाचारी के बारे में कुछ बोल भी नहीं सकता। यह हालत विशेषकर ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों की है।

जिस भूखंड का जलवायु जीवन के अनुकूल हो और वहाँ पर हरी−भरी वनस्पतियाँ पाई जाती हों, वहाँ पशु−पक्षी और जीव−जन्तुओं का पाया जाना एक नैसर्गिक सत्य है। किसी भी भूखंड में विचरण करने वाले पशु−पक्षी और जीव−जन्तुओं की उपस्थिति से वहाँ की जलवायु का अनुमान लगाया जा सकता है। जंगली जीव−जन्तु और पशु−पक्षी स्वच्छन्द रूप से वनों और जंगलों में विचरण करते हैं, जिनमें से कुछ समय−समय पर मानव जाति को विविध रूपों में कष्ट देते चले आये हैं और आज भी कष्ट देते हैं। किन्तु पालतू पशु−पक्षी सदैव से मानव जाति के उपयोग में आते रहे हैं और वे मनुष्य जाति को सुख, सुविधा और समृद्धि प्रदान करते रहे हैं।

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