निर्थना वृंदा स्त्री कुत्र व्यवसत्
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जिस कुल में नारियों कि पूजा, अर्थात सत्कार होता हैं, उस कुल में दिव्यगुण, दिव्य भोग और उत्तम संतान होते हैं और जिस कुल में स्त्रियों कि पूजा नहीं होती, वहां जानो उनकी सब क्रिया निष्फल हैं।
आज से दस हजार साल पहले आर्य या कहें कि वैदिक काल में नारी की स्थिति क्या थी यह सभी के लिए विचारणीय हो सकता है। नारी की स्थित से समाज और देश के सांस्कृतिक और बौद्धिक स्तर का पता चलता है। यदि नारी को धर्म, समाज और पुरुष के नियमों में बांधकर रखा गया है तो उसकी स्थिति बदतर ही मानी जा सकती है।
किंतु जिन्होंने वेद-गीता पढ़े हैं वे अच्छी तरह जानते हैं कि दस हजार वर्ष पूर्व जबकि मानव जंगली था, आर्य पूर्णत: एक सभ्य समाज में बदल चुके थे। तभी तो वेदों में जो नारी की स्थिति का वर्णन है उससे पता चलता है कि उनकी स्थिति आज के समाज से कहीं अधिक आदरणीय और स्वतंत्रतापूर्ण थी।