निर्वाचन के बाद किन परिस्थितियों में एक सरकार चलती है
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भारत, शासन की संसदीय प्रणाली के साथ एक संवैधानिक लोकतंत्र है, और इस प्रणाली के केन्द्र में नियमित, स्वतंत्र एवं निष्पक्ष निर्वाचनों को आयोजित करने के प्रति प्रतिबद्धता है। ये निर्वाचन सरकार की संरचना, संसद के दोनों सदनों, राज्यो एवं संघ राज्य-क्षेत्र की विधान सभाओं की सदस्यता, और राष्ट्रपतित्व एवं उप-राष्ट्रपतित्व का निर्धारण करते हैं।
निर्वाचन, संवैधानिक उपबंधों, जिनका संसद द्वारा बनाए गए कानूनों के द्वारा अनुपूरण किया जाता है, के अनुसार संचालित किए जाते हैं। प्रमुख कानून हैं-लोक प्रतिनिधित्वक अधिनियम, 1950, जो मुख्यतया निर्वाचक नामावलियों की तैयारी एवं पुनरीक्षण से सबंधित हैं, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 जिसमें निर्वाचनों के संचालन और निर्वाचन उपरांत विवादों के सभी पहलुओं का विस्तृत विवरण है। भारत के उच्चतम न्यांयालय ने अभिनिर्धारित किया है कि जहां निर्वाचनों के संचालन में किसी दी गई स्थिति से निपटने के लिए अधिनियमित कानून चुप है या अपर्याप्ता उपबंध किए गए हैं तो निर्वाचन आयोग के पास उपयुक्त तरीके से कार्रवाई करने के लिए संविधान के अधीन अवशिष्ट शक्तियां हैं।