Social Sciences, asked by mursalin97, 2 months ago

निर्वाचन प्रक्रिया के विभिन्न चरण कौन से हैं​

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Answered by itzPapaKaHelicopter
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निर्वाचन भारतीय लोकतान्त्रिक संरचना का महत्वपूर्ण हिस्सा है। संवैधानिक प्रावधानों व संसद द्वारा बनाये गए कानूनों के के अनुसार भारत में लोक सभा, राज्य सभा,राज्य विधान सभाओं व विधान परिषदों के लिए निर्वाचन संपन्न कराये जाते हैं। विश्व में अनेक प्रकार की निर्वाचन प्रणालियां प्रचलित हैं, जिन्हें हम दो निम्नलिखित दो प्रकारों में बाँट सकते हैं-

1. बहुमत प्रणाली

1. बहुमत प्रणाली2. आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली।

संविधान में अनुच्छेद 324 से लेकर 329 तक भारतीय निर्वाचन प्रणाली की रुपरेखा प्रस्तुत की गयी है।

लोक सभा के लिए निर्वाचन प्रक्रिया

लोक सभा का गठन वयस्क मताधिकार पर आधारित प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली के माध्यम से चुने गए जन-प्रतिनिधियों से मिलकर होता है।संविधान के अनुसार इसमें अधिकतम 552 सदस्य हो सकते हैं, जिसमें 530 सदस्य राज्यों और 20 सदस्य संघशासित क्षेत्रों से होंगे। इसके अलावा राष्ट्रपति आंग्ल-भारतीय समुदाय के दो सदस्यों को लोक सभा के लिए नामित कर सकता है। 95वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2009 द्वारा लोक सभा हेतु आंग्ल-भारतीयों के नामांकन की अवधि को पुनः बढ़ाकर 2020 तक कर दिया गया है। लोक सभा के निर्वाचन से संबंधित विभिन्न पहलुओं का वर्णन नीचे दिया गया है।

प्रत्यक्ष निर्वाचन: लोक सभा के सदस्यों का निर्वाचन जनता द्वारा प्रत्यक्ष निर्वाचन के माध्यम से किया जाता है।कोई भी नागरिक,जिसकी आयु 18 वर्ष से अधिक है,जाति, धर्म,लिंग,सामाजिक स्थिति आदि के भेदभाव के बिना निर्वाचन में भाग ले सकता है।

निर्वाचन क्षेत्र: प्रत्येक राज्य को निर्वाचन हेतु निर्वाचन क्षेत्रों में बांटा गया है।प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से लोक सभा के लिए एक सदस्य का निर्वाचन किया जाता है। इसका तात्पर्य है कि निर्वाचन क्षेत्रों व लोक सभा के सदस्यों की संख्या समान होती है।

प्रत्येक जनगणना के बाद निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्समायोजन: प्रत्येक जनगणना के बाद निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्समायोजन की आवश्यकता होती है क्योंकि निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन क्षेत्र के आधार पर न कर जनसंख्या के आधार पर किया गया है।

अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए सीटों का आरक्षण: संविधान में अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए लोक सभा में सीटें आरक्षित की गयीं हैं। 95वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2009 द्वारा लोक सभा में अनुसूचित जाति व जनजातियों के लिए सीटों के आरक्षण की अवधि को पुनः बढ़ाकर 2020 तक कर दिया गया है।

संविधान में पृथक निर्वाचकमण्डल की व्यवस्था नहीं है, इसका तात्पर्य है क़ि सामान्य मतदाता भी अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रोंके मतदान में भाग ले सकता है।इसके साथ ही अनुसूचित जाति/जनजाति समुदाय का कोई भी सदस्य सामान्य निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ सकता है।

87वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2003 के अनुसार राज्य सभा व लोक सभा में अनुसूचित जातियों/जनजातियों के लिए सीटों का आरक्षण 2001 की जनगणना के आधार पर होगी।

राज्य सभा के लिए निर्वाचन प्रणाली

राज्य सभा संसद का ऊपरी सदन है ,जिसके सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 तक हो सकती है। राज्य सभा के सदस्यों का निर्वाचन जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से नहीं होता है। इनका निर्वाचन एकल संक्रमणीय मत के आधार पर आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली द्वारा राज्यों की विधान सभाओं के सदस्यों द्वारा किया जाता है।

प्रत्येक राज्य को राज्य सभा में निश्चित सीटें प्रदान की गयीं है। संघशासित क्षेत्रों के प्रतिनिधियों का निर्वाचन संसद द्वारा बनाये गये कानून के अनुसार किया जाता है।

राष्ट्रपति साहित्य, कला, विज्ञान और समाज सेवा के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त 12 सदस्यों को राज्य सभा हेतु नामित कर सकता है।

राज्य सभा संसद का स्थायी सदन है। इसका विघटन भी नहीं हो सकता है क्योंकि इसके एक-तिहाई सदस्य प्रति दो वर्ष पर सेवानिवृत होते हैं। वर्तमान में राज्य सभा के सदस्यों की संख्या 245 है।

संसद सदस्य हेतु अर्हताएं

किसी भी व्यक्ति को संसद सदस्य के रूप में चुने जाने के लिए नीचे दी गयी अर्हताओं को पूरा करना होगा ।

उसे भारत का नागरिक होना चाहिए ।

उसे निर्वाचन आयोग द्वारा प्राधिकृतकिये गए व्यक्ति के समक्ष संविधान की तीसरी अनुसूची में दिए गए प्रारूप के अनुसार शपथ लेनी होगी ।

राज्य सभा की सदस्यता हेतु उसकी आयु 30 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए।

लोक सभा की सदस्यता हेतु उसकी आयु 25 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए।

उसे संसद द्वारा अवधारित की गयी अन्य अर्हताओं को पूरा करना होगा।

संसद सदस्य हेतु निरहर्ताएं

संविधान के अनुच्छेद 102 में उन निरहर्ताओं का वर्णन किया गया है जिनके आधार पर संसद के दोनों सदनों के किसी सदस्य को अयोग्य ठहराया जा सकता है:

1. यदि वह भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन लाभ का कोई पद धारण करता है

2. यदि वह नागरिक नहीं है या फिर उसने स्वेच्छा से किए विदेशी राज्य की नागरिकता स्वीकार कर ली है

3. यदि वह संसद द्वारा बनाये गए किसी कानून के तहत अयोग्य ठहराया जाता है

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