Political Science, asked by devdaskosle811, 11 days ago

निर्वाचन व्यवस्था से क्या अभिप्राय है

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Answered by Anonymous
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Explanation:

प्रतिनिधियों के चुनाव के अनेक तरीके हो सकते हैं। लाटरी के टिकट निकाल कर बिना समझे बूझे प्रतिनिधियों का चुनाव कर लेना तो एक ऐसा तरीका है जिसकी लोकतंत्र में कोई गुंजाइश नहीं है। दूसरे तरीके सामान्यतः निर्वाचन की मतदान प्रणाली पर ही आधृत हैं। यद्यपि ये तरीके भी पूर्णत: निर्दोष ही हों यह आवश्यक नहीं; पदप्राप्ति के इच्छुक प्रत्याशी प्राय: मतदाताओं को घूस देकर अथवा डरा धमकाकर कर जोरजबर्दस्ती से उनका मत प्राप्त कर लेते हैं। विभिन्न प्रकार के अल्पसंख्यक वर्ग उचित प्रतिनिधित्व से वंचित रह जाते हैं। राजनीतिक तथा अन्य प्रकार के दल कभी कभी चुनाव के लिए किसी अयोग्य उम्मीदवार को खड़ा कर देते हैं। ऐसी हालत में उस दल के लोगों को चाहे-अनचाहे उसी को अपना मत देना पड़ता है। इन दोषों को दूर अथवा कम करने और मतदान को स्वतंत्र एवं निष्पक्ष बनाने के लिए समय-समय पर निर्वाचन की विभिन्न प्रणालियों का विकास किया गया है।

निर्वाचन प्रणाली के अंग

किसी भी निर्वाचन प्रणाली के वस्तुत: पाँच अंग होते हैं :

(1) निर्वाचनक्षेत्रों के निर्धारण से संबंद्ध नियम

(2) मतदाताओं की अर्हता से संबंद्ध नियम;

(3) उम्मीदवारों की अर्हता और मनोनयन संबंधी नियम

(4) मतदान की विधि और मतपत्र गणना संबंधी नियम; और

(5) निर्वाचन संबंधी विवादों के निबटारे के लिए किसी न किसी तरह की व्यवस्था किंतु प्रचलित भाषा में निवचिन प्रणाली को उपर्युक्त केवल चौथे अंग तक ही सीमित माना जाता है, अत: यहाँ इसी अंग पर विचार किया जाएगा।

सरल बहुमत प्रणाली : सरल बहुतमत प्रणाली में जिस व्यक्ति को सबसे अधिक मत प्राप्त होते हैं वही चुन लिया जाता है। इसलिए इसे 'सर्वाधिक मतप्राप्त व्यक्ति की विजय' (फर्स्ट पास्ट द पोस्ट) कहा जाता है। यह मतप्रणाली सबसे प्राचीन है। ब्रिटेन में तेरहवीं शताब्दी से ही यह प्रणाली प्रचलित रही है। राष्ट्रमंडल के देशों और अमेरिका में मतदान की यही सर्वसामान्य प्रणाली है। भारत में लोकसभा एवं विधानसभाओं के चुनावों में इसी प्रणाली का प्रयोग किया जाता है।

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Math, 7 months ago