नारायण दास कौन थे चिंतित रहते थे नारायणदास कोई क्षमता नहीं उनकी विरासत कौन संभालेगा इसलिए वह चिंतित रहते थे
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पद्मश्री संत नारायण दास जी महाराज त्रिवेणीधाम के साथ साथ गुजरात के डाकोर धाम के ब्रह्मपीठाधीश्वर गद्दी के भी महंत थे। 1927 में शाहपुरा तहसील के चिमनपुरा गांव के गौड़ ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम रामदयाल शर्मा और माता का नाम भूरी बाई था।
बताया जाता है की नारायण दास महाराज बचपन में बीमार रहते थे। ऐसे में इनके पिता ने इन्हें भगवान दास महाराज के पास छोड़ दिया था। बाद में बाल्यावस्था में ही संन्यास ले लिया और गुरुजी की सेवा कर शिक्षा दीक्षा ग्रहण की।
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पद्मश्री संत नारायण दास जी महाराज त्रिवेणीधाम के साथ साथ गुजरात के डाकोर धाम के ब्रह्मपीठाधीश्वर गद्दी के भी महंत थे। 1927 में शाहपुरा तहसील के चिमनपुरा गांव के गौड़ ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम रामदयाल शर्मा और माता का नाम भूरी बाई था।
बताया जाता है की नारायण दास महाराज बचपन में बीमार रहते थे। ऐसे में इनके पिता ने इन्हें भगवान दास महाराज के पास छोड़ दिया था। बाद में बाल्यावस्था में ही संन्यास ले लिया और गुरुजी की सेवा कर शिक्षा दीक्षा ग्रहण की।
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