नारायण देव ने विश्वासघात किया ,क्या इसके ऊपर 'घर का भेदी लंका ढाए 'लोकोक्ति चरितार्थ होती ?स्पष्ट कीजिए /
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घर का भेदी लंका ढाए। मतलब जो लोग घर के लोगो से विश्वास घात कर घर की बात को बाहर बताते हैं और अपने लोगों को चलते हैं। वह विश्वास घाती होते हैं।
नारायण देव ने भी ऐसा ही किया। इसलिए उन पर यह लोकोक्ति चरितार्थ होती है। उन्होंने गद्दारी की है और गद्दार लोगों के लिए समाज में कोई जगह नहीं है
नारायण देव ने भी ऐसा ही किया। इसलिए उन पर यह लोकोक्ति चरितार्थ होती है। उन्होंने गद्दारी की है और गद्दार लोगों के लिए समाज में कोई जगह नहीं है
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