Hindi, asked by yuvikarathore770, 3 months ago

-'निरपख होई के हरि भजै सोई संत सुजान के माध्यम से कबीरदासजी ने क्या सीख दी है ?​

Answers

Answered by Rameshjangid
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संत कबीर दास जी ने ईश्वर की पूजा करने की सीख दी है ।

इन पंक्तियों द्वारा कहना चाहते हैं कि -:

एक विचार या दूसरे विचार या धर्म का पक्ष लेने के चक्कर में दुनिया भूल भुलैया मैं पड़ी रहती है जो निष्पक्ष होकर ईश्वर की पूजा करता है वही सही ज्ञान पाता है।

व्याख्या :-

संत कबीरदास जी कहते हैं कि पक्ष और विपक्ष के चक्कर में पड़कर लोग जाति , धर्म और संप्रदाय में बँट गए हैं । वे अपने पक्ष को श्रेष्ठ मानते हैं और दूसरों की निंदा करते हैं इसी सांसारिक पचड़े में पडकर वे अपने जीवन के असली उद्देश्य से भटक गए हैं ।

कबीर जी कहते हैं कि जो धर्म संप्रदाय के चक्कर में पड़े बिना प्रभु भक्ति करते हैं वास्तव में वे संत हैं , ज्ञानी हैं।

भावार्थ दोहे के माध्यम से कबीर कहना चाहते हैं कि मनुष्य को पक्ष विपक्ष के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए पदार्थ हिंदू - मुसलमान के चक्कर में ना पड़कर प्रभु - भक्ति करनी चाहिए।

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