) नारद जी क्यों परेशान थे? उनकी परेशानी का समाधान किस प्रकार हुआ?.
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ब्रह्माजी की इच्छा थी कि उनका पुत्र नारद उनकी रचाई सृष्टि में वैवाहिक जीवन व्यतीत करें किन्तु नारद जी की आसक्ति संसारी बनने की नहीं थी, उन्हें तो ऋषि-मुनियों वाला जीवन पसंद था। उन्होंने पिता की बात नहीं मानी जिससे क्रोध में आकर ब्रह्माजी ने नारद को आजीवन अविवाहित रहने का श्राप दे दिया।
देवर्षि नारद जयंती प्रति वर्ष ज्येष्ठ माह में कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाई जाती है। देवर्षि नारद का नाम सभी लोकों में माननीय है। जैसा कि पुराणों में वर्णित है नारद मुनि ब्रम्हाजी के मानस पुत्र थे, एक लोक की खबर दूसरे लोक तक पहुंचाने में उनकी अहम् भूमिका रही है। देवी-देवता हों, मुनिजन या देत्यगण, प्रत्येक लोक में नारद मुनि का सम्मान था, वे सबके प्रिय थे।
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