नीरद संध्या में प्रशान्त
डूबा है सारा ग्राम प्रान्त
पत्रों के आनंत अधरोपर सो गया निखिल दनका
ज्यों वीणा के तारों में स्वर!
खग कूजन भी हो रह लीन निर्जन गोप्य उद बुलहन
धूसर मुजंग-सा जिह छीणा।
झींगुर के स्वर का प्रखर तीर केदल प्रशांत को हीर
संध्या प्रशांति को कर गंभीर! कवि का नाम
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yes I will be there at me and
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