न.सी.ई.आर.टी.)
है। कवि अपने आप को इस देश में जन्म लेने के कारण धन्य मान रहा है। कवि के मन में देश के प्रति गौरव की
भावना इस कविता में स्पष्ट रूप से उजागर हुई है। वे अपने देश को अपने प्राणों से भी प्यारा बता रहे हैं।
प्राणों से भी प्यारा है, भारत देश हमारा है।
दौ
अनुस्वार (-)
का
मातृभूमि यह, पितृभूमि यह, जगती में अवतारी है।
स्वर्गलोक से भी बढ़कर है, तीन लोक से न्यारी है।
चाँद-सितारों ने, ऋतुओं ने, इसका माथा सँवारा है।
प्राणों से भी प्यारा है, भारत देश हमारा है।।
न बनाते समय
जा होनी
उन्हेस
रणवीरों ने रिपुमुंडों से, माता का श्रृंगार किया।
संतों, ऋषि-मुनियों ने जग को, ज्ञान दिया उपकार किया।
भारत माता की जय होवे, ऐसा यत्न हमारा है।
प्राणों से भी प्यारा है, भारत देश हमारा है।
अमल
ज्या
कभी
कूदना आदि।
ती आदि।
अथवा वही
सरिता से सीखा है हमने, पल-पल बढ़ते जाना है।
दीपक से सीखा है नित ही. तिल-तिल जलते जाना है।
ज्योतित रहना, ज्योतित करना, पहला कार्य हमारा है।
प्राणों से भी प्यारा है, भारत देश हमारा है।
a
संपन्न, अन्न,
डॉक्टर।
इस मिट्टी में पैदा होना, बड़े गर्व की बात है।
साहस और वीरता, अपने पुरखों की सौगात है।
गंगा-यमुना जैसी नदियाँ, बहती कल-कल धारा है।
प्राणों से भी प्यारा है, भारत देश हमारा है।
Answers
Answered by
0
Answer:
please follow me
please send me messages on brainly
I am waiting for your messages
Similar questions