(ङ) सौ-सौ बार टूटने पर भी कौन-कौन जुड़ जाते हैं?
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कबीर कह रहे है “ सोना, सज्जन, साधु जन, टूट जुडें सौ बार “ दुनिया में ऐसा नहीं हो सकता। दुनिया के तल पर ये संभव ही नहीं है क्यूंकि वहां पर टूटने और जुड़ने की हमेंशा एक सीमा होगी। कबीर जब कह रहे हैं 'सौ बार' तो कबीर कहते हैं, 'अनंत बार'।
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