निस्वार्थ भाव से किया गया कार्य सदैव सुख प्रदान करता है । उक्त कथन यदि आपके विचार से सत्य है तो सत्य कथन की पुष्टि कीजिए।
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शीर्षक: निस्वार्थ भाव से किया गया कार्य सदैव सुख प्रदान करता है।
बहुत सालों पुरानी बात है एक गोपीचंद राज्य के राजा हरिप्रसाद एक दिन जंगल घूमने गए घूमते घूमते वह दूसरे राज्य के सीमा के पास आकर पहुंच गए वह जब वहां की सीमा के पास आके पहुंच गए उन्होंने देखा वहां पर 2 सैनिक कुछ बात कर रहे थे वह दो सैनिक बोल रहे थे परसों गोपीचंद राज्य मैं रात को हम ला करने वाले हैं यह सुनकर राजा विचलित हो गए वह भागते हुए अपनी महल पहुंचे उन्होंने अपने सैनिकों से यह सारी बात बताइए और वह लोग महल की और राज्य की सुरक्षा के लिए जुट गए युद्ध के लिए किसने कहा था वैसे ही उन्होंने रात में हमला कर दिया पर राजा हरिप्रसाद और उनके सैनिक पहले से ही सतर्क हो गए थे वह लोग भी दुश्मन राज्य के सैनिकों को मुंह तोड़ जवाब देने लगे लड़ाई सुबह तक चल रही थी लड़ाई में अचानक कहां से हरिप्रसाद को किसी ने बान मार दिया और हरिप्रसाद उस लड़ाई में रितु मुखी गिर गए
महाराज का एक 6 साल का पुत्र था अब पिताजी की जाने के बाद सारा जिम्मेदारी 6 साल के बच्चे के ऊपर आ गई पर उसकी उम्र छोटी होने के कारण उसके चचेरे भाई ने राजपाट की जिम्मेदारी उठा ली और साल के बच्चे की देखभाल करने के लिए एक आया रख दी उसका नाम पार्वती था वह राजकुमार को बहुत प्यार करती उसको उसका खुद का 6 साल का एक बच्चा था वह उन दोनों बच्चों को भी समान प्यार करती
राज्य का कार्यभार संभालते संभालते किसी केमनमेंकोटा गया उसने सोचा कि क्यों ना मैं राजकुमार कुमार कर इस पूरी संपत्ति का मालिक बन जाऊं एक रात उसने अपने तलवार ले ली और राजकुमार के कमरे की ओर बढ़ रहा था ना जाने कहां से पार्वती को यह समझ आ गया कि चचेरा भाई राजकुमार को मार देना चाहता है और वह जल्दी से राजकुमार की कमरे में चली गई राजकुमार सोए थे उसने अपने दिल पर पत्थर रखकर राजकुमार को पलंग से उतारकर वहां पर अपने खुद के बच्चे को सुला दिया और सेवकों के मदद से राजकुमार को सुरक्षित महल के बाहर पहुंचा दिया चचेरा भाई कमरे में आ गया पार्वती के बेटे को राजकुमार समझकर उसने उसका वध कर दिया अगले दिन पार्वती राजकुमार को लेकर आ गए उसने सब कुछ दरबार में बता दिया और चचेरे भाई को फांसी की सजा देने का फैसला दिया पार्वती को राज्य की महारानी बना दिया
सीख: निस्वार्थ भाव से किया गया कार्य सदैव सुख प्रदान करता है।