नैसर्गिक
पथ पर आगे बढ़ने से विचलित न हो तथा समाज में प्रचलित बुराइयों के
त दायरे
प्रयास
अभ्यास
स
र्वशक्तिमान हमें शक्ति दीजिए।
जिंदगी में, अंधकार को भगा सकें।
ज्ञान-दीप अपने हृदय में जला सकें।
होंगे कामयाब ऐसी युक्ति कीजिए।।
त्मक
सर्व शक्तिमान हमें शक्ति दीजिए।
ङ) स्वार्थ साधनों में कहीं मन नहीं रमे।
प्रगति पथ पर कभी पग नहीं थमे।
बुराइयों की दासता से मुक्ति दीजिए।।
सा,
त
मों
सर्व शक्तिमान हमें शक्ति दीजिए।
सत्य बोलते हुए ही धर्म पर चलें।
वीरता से धीरता के कर्म में ढलें।
बहकी हुई भावना को भक्ति दीजिए।।
सर्व शक्तिमान हमें शक्ति दीजिए।
-डॉ० जयपाल तरंग
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prarthana Kavita mein kise bhagane ki baat ki gayi hai?
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समाज में प्रचलित बुराइयों को दूर करने की बात कही गई है
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