Hindi, asked by reshmajahan5450, 5 hours ago

निश्चय ही महाराज! शीघ्र ही बूँदी के पठारों पर सिसोदिया का सिंह नास होगा। अच्छा, अब हम लोग आज के रण की तैयारी करें। कथन का वक्ता एवं श्रोता कौन है ?​

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Answered by shishir303
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निश्चय ही महाराज! शीघ्र ही बूँदी के पठारों पर सिसोदिया का सिंहनाद होगा। अच्छा, अब हम लोग आज के रण की तैयारी करें।

कथन का वक्ता एवं श्रोता कौन है ?​

इस कथन का वक्ता मेवाड़ के शासक महाराणा लाखा का सेनापति ‘अभय सिंह’ है और श्रोता खुद ‘महाराणा लाखा’ हैं।

⏩ ये कथन उस समय का है, जब महाराणा लाखा ने बूंदी रियासत का एक नकली दुर्ग बनवाया था ताकि उस दुर्ग को नष्ट करके बूंदी के राजा हेमू द्वारा अपनी पराजय का कृत्रिम बदला लेकर अपने प्रतिशोध की आग को कुछ ठंडा कर सकें। कृत्रिम दुर्ग बन जाने पर उनका अपने सेनापति से इस संबंध में वार्तालाप हुआ और तब उनके सेनापति अभयसिंह ने उपरोक्त कथन कहा था।

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