निषेधात्मक वाचक किसे कहते हैं
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निषेधवाचक वाक्य की परिभाषा
जैसा कि जमीन इसके नाम से ही पता चल रहा है निषेध वाचक वाक्य हमें किसी काम के ना होने या न करने का बोध कराते हैं।
जिन वाक्यों से कार्य के निषेध का बोध होता है, वह वाक्य निषेधवाचक वाक्य कहलाते हैं।
निषेधवाचक वाक्य के उदाहरण
मैं घर नहीं जाऊँगा।
ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा कि आप देख सकते हैं, यहां हमें किसी कार्य के ना होने का बोध हो रहा है। वक्ता किसी काम को करने से मना कर रहा है। अतः यह उदाहरण निषेधवाचक वाक्य के अंतर्गत आएगा।
आज बारिश नहीं होगी।
जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, यहां हमें पता चल रहा है की आज बारिस नहीं होगी। इसका मतलब है हमें किसी काम के ना होने का बोध हो रहा है। अतः यह उदाहरण निषेधवाचक वाक्य के अंतर्गत आएगा।
आज हिंदी के अध्यापक नहीं आएंगे।
ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा की आप देख सकते हैं, हमें इस वाक्य से पता चल रहा है की आज हंडी के अध्यापक कक्षा लेने नहीं। इसका मतलब हमें किसी काम के नहीं होने का बोध हो रहा है। अतः यह उदाहरण निषेधवाचक वाक्य के अंतर्गत आएगा।
मैं वहां नहीं जाऊँगा।
जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, इससे हमें पता चल रहा है की वक्ता कहीं जाने की मना कर रहा है। इसका मतलब है की हमें किसी कार्य के ना होने का बोध हो रहा है। अतः यह उदाहरण निषेधवाचक वाक्य के अंतर्गत आएगा।
निषेधवाचक वाक्य के कुछ अन्य उदाहरण
मैं आज खाना नहीं खाऊंगा।
राम आज स्कूल नहीं जाएगा।
रमन आज खेलने नहीं आएगा।
राम आज रावण को नहीं मारेगा।
रावण आज सीता का अपहरण नहीं करेगा।
बसंती गब्बर के सामने नहीं नाचेगी।
आज वह फिल्म टीवी पे नहीं आएगी।
आज हम घूमने नहीं जायेंगे।
ऊपर दिए गए सभी वाक्यों में जैसा कि हमने देखा यहां किसी ना किसी काम के ना होने का बोध हो रहा है। अतः ये सभी उदाहरण निषेधवाचक वाक्य के अंतर्गत आएंगे।
निषेधवाचक वाक्य से सम्बंधित यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।