नेताजी का चश्मा नामक पाठ में एक फेरीवाले का वर्णन किया गया है किसी फेरीवाले की दिनचर्या के बारे
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Explanation:
'नेता जी का चश्मा' पाठ के लेखक स्वयंप्रकाश हैं। इस पाठ का उद्देश्य देश-प्रेम का वर्णन करना है। ... प्रस्तुत पाठ में भी यही दर्शाया गया है कि नगरपालिका वाले कस्बे के चौराहे पर नेता जी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति लगवाते हैं। मूर्तिकार नेता जी की मूर्ति का चश्मा बनाना भूल जाता है।
शहरों उघैर कस्बों की सडकों पर हर जगह फेरीवाले और खोमचे वाले नजर आते हैं । वह हमारे सडकों की जानी-पहचानी हस्ती है । आमतौर से स्कूलो और कॉलेजों के बाहर खोमचे वाले खूब दिखाई पड़ते है ।
इसके अलावा मेलों, प्रदर्शनियों, सड़क के किनारे और रेलवे स्टेशनों तथा बस अड्डों के पास भी उनका जमाव दिखाई देता है । वह ऐसे स्थानों पर आवाज लगा-लगा कर अपना माल बेचता है, जहाँ बहुत-से लोग आते-जाते है ।
उसकी पोशाक:
आमतौर पर फेरी या खोमचे वाला बेढंगी पोशाक पहनता है । वह फटी-सी कमीज और पाजामा पहनता है । अक्सर वह सिर पर पगड़ी बाँधता है । उसकी पगड़ी टोकरे या खोमचे को सिर पर रखने में सहायता देती है । उसके कपड़े पसीने, धूल और गर्द आदि से भरे रहते हैं और उन पर तरह-तरह के धब्बे दिखाई देते हैं ।