'नेताजी का चश्मा' पाठ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए
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स्वयं प्रकाश का जन्म 1947 में इंदौर ,मध्यप्रदेश में हुआ। आठवें दशक में उबले स्वयं प्रकाश आज सोमवार का लिंग कहानी के हस्तक्षर है। उन्हें 1 3 कहानी संग्रह प्रकाशित हुई है। उनमें सूरज कब निकलेगा, आएंगे अच्छे दिन भी, आदमी जात का आदमी और संधान उल्लेखनीय है। मंतव्य जीवन के कुशल चितेरे स्वयं प्रकाश की कहानियों में वगं शोषण के विरुद्धध जेतना है तो हमारे समाज जीवन के भेद - भाव के खिलाफ प्रतिकार क्या स्वर भी है। रोचक किस्सा शैली में लिखी गई उनकी कहानियां हिंदी की वाचिक परंपरा को समृद्ध करती है।
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