नेताजी को कहाँ के समाचार नहीं मिले
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नेताजी की मौत का रहस्य कहां उलझ गया
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02 Dec 2020, 05:05:28 PM IST
नेताजी की मौत प्लेन हादसे में हुई या नहीं, सच की तह तक जाने के लिए तीन जांच आयोग बनाए गए। फिर भी उनकी मौत का रहस्य उलझता ही चला गयारत्ना श्रीवास्तव
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18 अगस्त 1945। वह तारीख, जिसे लेकर ना जाने कितने सवाल पिछले सात दशकों में उठे हैं। यह वही तारीख है, जब हवाई हादसे में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के निधन की ख़बर आई। इसी के साथ शुरू हो गया शक़ और रहस्य का सिलसिला। घटना की तह तक जाने के लिए तीन आयोग बने। क्या थी उनकी रिपोर्ट? किस ओर इशारा करती थीं उनकी जांच? इन सभी सवालों के साथ गुत्थी और उलझती चली गई।
एक रिपोर्ट नेताजी के बड़े भाई सुरेश चंद्र बोस ने भी तैयार की। इसे उन्होंने पहले जांच आयोग के खिलाफ असहमति रिपोर्ट के तौर पर पेश किया। उन्होंने दावा किया कि जापानी अधिकारियों ने गैर आधिकारिक तौर पर बताया है कि सुभाष सुरक्षित सोवियत सीमा में पहुंचा दिए गए थे। लेकिन जांच रिपोर्ट्स कहती हैं कि 18 अगस्त 1945 की दोपहर ढाई बजे ताइवान में हुए दुखद हवाई हादसे में नेताजी की मौत हुई। हादसे के समय, दिन और दस्तावेज़ों को लेकर कई दावे और अविश्वास जारी हुए। अलग-अलग देशों की आला खुफिया एजेंसियों ने अपने तरीकों से सच्चाई खंगालने की कोशिश की। कुछ स्वतंत्र जांच भी हुईं। कई देशों में हज़ारों पेजों की गोपनीय फाइलें बनीं। तमाम क़िताबें लिखीं गईं, लेकिन रहस्य कभी पूरी तरह सुलझ ना सका।
कुछ सच है तो यह कि 18 अगस्त 1945 के बाद सुभाष चंद्र बोस कभी सामने नहीं आए। बहुतों ने 80 के दशक तक दावा किया कि उन्होंने नेताजी को देखा है। अयोध्या में रहने वाले गुमनामी बाबा को सुभाष बाबू मानने वालों की कमी नहीं। लेकिन जस्टिस मनोज मुखर्जी आयोग और उत्तर प्रदेश सरकार की विष्णु सहाय आयोग ने इस बात को साफ़ खारिज कर दिया।
वैसे यह पहेली ही है कि सुभाष नहीं होते हुए गुमनामी बाबा के पास नेताजी से जुड़े ढेरों सामान कैसे थे? वह क्यों हमेशा पर्दे के पीछे रहे? गुमनामी बाबा की सेवा करने वाली लखनऊ की सरस्वती देवी के बेटे राजकुमार शुक्ला ने भी मुखर्जी आयोग को बताया कि उनकी मां हमेशा कहती थीं, गुमनामी बाबा नेताजी ही थे। आगे चलकर दो और बाबाओं के सुभाष चंद्र बोस होने की चर्चाएं खूब फैलीं। शॉलमारी आश्रम के स्वामी शारदानंद और मध्य प्रदेश में ग्वालियर के करीब नागदा के स्वामी ज्योर्तिमय को नेताजी माना गया।
इन सबके बीच कुछ साल पहले नेताजी सुभाष चंद्र बोस के सबसे प्रिय भतीजे और सहयोगी शिशिर बोस की पत्नी और सांसद रहीं दिवंगत कृष्णा बोस जापान गईं। वहां वह उसी विमान हादसे में मरने वाले जनरल सिदेई के परिवारवालों से मिलीं। कृष्णा बोस ने कहा, 'सिदेई के परिजन हैरान थे कि भारतीय अब तक उस हादसे और नेताजी के निधन को स्वीकार क्यों नहीं कर पाए हैं। यह भावनात्मक मुद्दा बना हुआ है।'
ख़ुद नेताजी की बेटी अनिता बोस फाफ मानती हैं कि उनके पिता का निधन हवाई हादसे में हुआ। इस पूरे मामले में बोस परिवार बंटा हुआ है। एक हिस्से ने हमेशा माना कि सुभाष जीवित हैं और लौटेंगे। इसलिए रैंकोजी मंदिर में उनकी अस्थियों को परिवारवालों ने स्वीकार नहीं किया। वह अस्थियां कभी ससम्मान भारत नहीं लाई गईं।
जब देश आज़ाद हो रहा था तो कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं को भी लगता था कि नेताजी ज़िंदा हैं। माना गया कि वह सोवियत संघ पहुंच गए हैं। महफूज़ हैं। आज़ादी के बाद जब कैबिनेट का गठन होना था तो अक्सर पंडित जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल से प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूछा जाता कि अगर सुभाष लौट आए तो सरकार में उन्हें कौन-सी जगह मिलेगी? बहुतों का मानना था कि नेताजी ने सोवियत संघ से नेहरू को चिट्ठी लिखकर अपना हाल बताया है। यह भी माना गया कि ब्रिटेन सरकार के दबाव में सुभाष को सोवियत संघ से रिहाई में दिक्कत आ रही है।
सभी कयासों के बीच बस एक शख़्स था, जो कह रहा था कि नेताजी ने उसके सामने अस्पताल में आखिरी सांसें लीं। वह थे आज़ादी के बाद पाकिस्तान में जाकर बस गए कर्नल हबीब उर रहमान। नेहरू सरकार ने काफी दबाव के बाद 50 के दशक में शाहनवाज खान की अगुवाई में पहला जांच आयोग बनाया। रिपोर्ट सामने आई कि नेताजी का निधन तायहोकु में प्लेन क्रैश में ही हुआ। फिर 70 के दशक में गठित जस्टिस जीडी खोसला आयोग इसी नतीजे पर पहुंचा। लेकिन 90 के दशक के आख़िर में अटल बिहारी वाजपेयी के बनाए मुखर्जी आयोग ने इस निष्कर्ष को पलट दिया। तीसरे आयोग का कहना था कि उस हवाई हादसे में नेताजी की मौत नहीं हुई, लेकिन पुख्ता नतीजे सामने नहीं आए। तीनों आयोगों की कार्यवाहियों और निष्कर्षों में बडे़ झोल मिले।
कौन-सी रिपोर्ट सही थी, कौन ग़लत, इनके बीच कई बड़े सवाल और हैं -
- जापान ने नेताजी के निधन की ख़बर जारी करने में पांच से छह दिन क्यों लिए?
- आख़िर क्यों नेताजी के निधन से जुड़ा कोई भी रिकॉर्ड अस्पताल से लेकर शवदाह गृह और हादसे वाले एयरपोर्ट पर नहीं है?
- उनके शव की तस्वीरें सही तरीके से क्यों नहीं खींचीं गईं?
- क्या वह वाकई वॉर क्रिमिनल थे? उनका नाम ब्रिटेन ने युद्ध अपराधियों की सूची में रखा था।
- सुभाष की उस घड़ी का रहस्य क्या है, जो उन्होंने आखिरी समय में पहनी हुई थी?
- फ्रांसीसी जासूसी एजेंसी क्यों मानती है कि जापान ने ही बोस को कैद कर लिया?
नेताजी की अज्ञात यात्रा कई रहस्य और कौतुहल लिए हुए है। उनपर प्रकाशित नई क़िताब ‘सुभाष बोस की अज्ञात यात्रा’ में उसी ओर देखने की कोशिश की गई है। कई सवालों का जवाब खोजने के साथ तीनों जांच आयोगों की रिपोर्ट, बडे़ भाई सुरेश चंद्र बोस की अहसमति रिपोर्ट को विस्तार से पहली बार दिया गया है।