नेताजी की मूर्ति लगाने के कार्य को सफल व सराहनीय प्रयास क्यों कहा गया है?
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सीमित समय एवं सीमित बजट के बावजूद नेता जी के मूर्ति को स्थापित किया गया इससे पता चलता है कि समाज में अभी भी नेता जी जैसे देशभक्तों के प्रति लोगों के मन में सम्मान एवं श्रद्धा की भावना जीवित है इसी कारण नेता जी की मूर्ति लगाने का कार्य एक सफल एवं सराहनीय कार्य था इससे आगे की आने वाली पीढ़ीया भी देशभक्ति की भावना के साथ जुड़ी रहेंगी l
नेताजी की मूर्ति लगाने के कार्य को सफल व सराहनीय प्रयास क्यों कहा गया है?
नेता जी की मूर्ति लगाने के कार्य को सफल व सराहनीय प्रयास इसलिए कहा गया है, क्योंकि जिस कारीगर ने नेता जी की मूर्ति बनाई थी, वह बड़ी कुशलता से बनाई थी। नेता की मूर्ति जीवंत लग रही थी। मूर्ति को देखते ही नेताजी के 'दिल्ली चलो' और 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा' जैसे नारे याद आने लगते थे।
मूर्ति को इस तरह लगाया गया था, ऐसा लगता था कि जैसे साक्षात नेताजी खड़े हों। इससे कारीगर का प्रयास काफी सफल और सराहनीय लगता था। क्योंकि उसने मूर्ति को बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
नेताजी का चश्मा पाठ में एक कस्बे में नेताजी की संगमरमर की मूर्ति लगी थी। जिसकी ऊंचाई लगभग 2 फुट थी। उस मूर्ति में खाली एक कमी थी कि उसमें एक कसर रह गई थी कि नेता जी की मूर्ति पर चश्मा तो था लेकिन नहीं चश्मा संगमरमर का नही था बल्कि काँच और फ्रेम का चश्मा अलग से फिट कर दिया था।
#SPJ3
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