नेता जी का परिचय देते हुए बताइए कि चौराहे पर उनकी मूर्ति लगाने का क्या उद्देश्य राहु का क्या उस उद्देश्य में सफलता प्राप्त हुई
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नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे, जिनका जन्म बंगाल में हुआ था और भारत की आजादी के स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सुभाष चंद्र बोस नेताजी के नाम से मशहूर हो गए थे। उन्होंने आजाद हिंद फौज का भी गठन किया था और उनका प्रसिद्ध नारा था, तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा ।
चौराहे पर उनकी मूर्ति लगाने का उद्देश उनके प्रति सम्मान प्रकट करना था। भारत की आजादी के स्वाधीनता संग्राम में जिन-जिन महापुरुषों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया, देश में जगह-जगह पार्कों, चौराहों या अन्य महत्वपूर्ण स्थलों पर उनकी मूर्तियां लगाई जाती रही हैं। नेता जी की मूर्ति लगाने का उद्देश्य यही था।
नगरपालिका के एक उत्साही अधिकारी ने आनन-फानन में नेता जी की मूर्ति बनाकर चौराहे पर लगवा दी थी। नेता जी की मूर्ति लगवाने का उद्देश्य शुरू शुरू में एकदम पूरा नहीं हुआ क्योंकि नेता जी की मूर्ति पर चश्मा नहीं लगा था, जबकि नेताजी के व्यक्तित्व में चश्मा उनकी पहचान था। बाद में चश्मा की अदला बदली होती रही और कैप्टन चश्मे वाला नेता जी की मूर्ति पर अपने चश्मा लगाता रहा। उसके बाद उसकी मृत्यु के बाद ऐसा लगा कि नेता जी की मूर्ति चश्मा विहीन हो जाएगी, लेकिन अंततः किसी ने सरकंडे का चश्मा बनाकर नेता जी की मूर्ति पर लगा ही दिया। इससे नेता जी की मूर्ति चौराहे पर लगाने का उद्देश्य पूरा हो गया था। अर्थात लोगों के मन में उनके प्रति सम्मान की भावना थी और लोगों नेताजी जी मूर्ति को चश्मा विहीन नहीं देख सकते थे।
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