नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा गति आजाद हिंद फौज के वृस्तृत इतिहास पर लेख
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सुभाष चंद्र बोस देश के उन महानायकों में से एक हैं और हमेशा रहेंगे, जिन्होंने आजादी की लड़ाई के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया. सुभाष चंद्र बोस के संघर्षों और देश सेवा के जज्बे के कारणही महात्मा गांधी ने उन्हें देशभक्तों का देशभक्त कहा था. महानायक सुभाष चंद्र बोस को 'आजादी का सिपाही' के रूप में देखा जाता है साथ ही उनके जीवन के वीरता के किस्सों के साथ याद किया जाता है
भारत का सबसे श्रद्धेय स्वतंत्रता सेनानी माने जाने वाले सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को हुआ था. उन्होंने आजाद हिंद फौज के नाम से पहला भारतीय सशस्त्र बल बनाया था. उनके प्रसिद्ध नारे 'तुम मुझे खून दो, मैं तूम्हें आजादी दूंगा' ने स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहे उन तमाम भारतीयों के दिल में देशभक्ति पैदा कर दी थी. आज भी ये शब्द भारतीयों को प्रेरणा देते हैं.बाताया जाता है कि आजाद हिंद फौज के बनने में जापान ने बहुत सहयोग किया था. आजाद हिंद फौज में करीब 85000 सैनिक शामिल थे. इसमें एक महिला यूनिट भी थी जिसकी कैप्टन लक्ष्मी स्वामीनाथन थी.
पहले इस फौज में वे लोग शामिल किए गए, जो जापान की ओर से बंदी बना लिए गए थे. बाद में इस फौज में बर्मा और मलाया में स्थित भारतीय स्वयंसेवक भी भर्ती किए गए. साथ ही इसमें देश के बाहर रह रहे लोग भी इस सेना में शामिल हो गए
आजाद हिंद फौज के लोगों 1944 को 19 मार्च के दिन पहली बार झंडा फहराया था. राष्ट्रीय ध्वज फहराने वाले लोगों में कर्नल शौकत मलिक, कुछ मणिपुरी और आजाद हिंद के लोग शामिल थे.