Hindi, asked by monuamitcool7278, 11 months ago

नैतिक शिक्षा की अनिवार्यता पर निबंध | Write an essay on The Inevitability of Moral Education in Hindi

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Answered by maazshaikh1786
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नैतिकता मनुष्य का वह गुण है जो उसे देवत्व के समीप ले जाता है । यदि शुरू में नैतिकता न हो तो पशुता और मनुष्यता में कोई विशेष अंतर नहीं रह जाता है । नैतिकता ही संपूर्ण मानवता का श्रुंगार है ।


वेदों, उपनिषदों एवं अन्य सभी धर्मग्रंथों में नैतिक अथवा सदाचार शिक्षा पर विशेष बल दिया गया है । समस्त ऋषि-मुनियों व शास्त्रियों की मान्यता है कि मनुष्य का चरित्र तभी तक है जब तक उसमें नैतिकता व चारित्रिक दृढ़ता है ।


चरित्रविहीन मनुष्य पशु के समान है और एक पशु चाहे वह कितना ही सुंदर हो, उसकी आवाज कितनी ही मधुर क्यों न हो, वह एक मानव की ऊँचाइयों को कभी नहीं छू सकता । हमारी भारतीय संस्कृति में सदैव ही नैतिक मूल्यों की अवधारणा पर विशेष बल दिया गया है । मनुष्य के जीवन में अच्छे चरित्र का विशेष महत्व है । दूसरे शब्दों में अच्छे चरित्र से ही मनुष्य की अस्मिता कायम है ।

Answered by coolthakursaini36
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                              “नैतिक शिक्षा की अनिवार्यता”

भूमिका:-> व्यवहारिक ज्ञान अर्थात बड़ों के प्रति, छोटों के प्रति, गुरुजनों के प्रति   सद्व्यवहार, तथा कर्तव्य का बोध और धर्म का आचरण करना ही नैतिक शिक्षा है। आज संसार को संस्कार वान व्यक्ति की सख्त जरूरत है

आज का विद्यार्थी:->आज हमारी शिक्षा पद्धति इस तरह से बन चुकी है कि विद्यार्थियों को केवल अक्षर ज्ञान ही दिया जाता है। आज विद्यार्थियों में संस्कारों की कमी है जिस कारण समाज में असमानता फैल रही है। बच्चे मां बाप की आज्ञा की अवहेलना करते हैं। अपने गुरुजनों का सम्मान नहीं करते। जिस देश के बच्चों में इस तरह की भावना आ जाती है उसका पतन होना निश्चित है।

नैतिक शिक्षा की अनिवार्यता:-> आज नैतिक शिक्षा की बहुत ही सख्त जरूरत है यदि बच्चे संस्कारवान होंगे तो वे अपना हर कर्तव्य ईमानदारी के साथ कर सकेंगे। और देश को उन्नति के शिखर की ओर ले जायेंगे। घर में अपने वृद्ध माता पिता की सेवा करेंगे और लोगों के साथ सद व्यवहार करेंगे। बच्चों में संस्कार देने की जिम्मेदारी माता-पिता के साथ साथ अध्यापक की भी है। हमें समाज में इस तरह का माहौल बनाना चाहिए कि कोई भी बच्चा चोरी व्यभिचारी तथा दुराचारी ना बने।

भारत की प्रतिष्ठा:-> भारत सदियों से आदर्शवादी के रूप में जाना जाता है जिनमें से मुख्य रूप से श्री राम और योगीराज श्री कृष्ण का नाम आता है हमें भगवान श्री राम के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए तथा समाज में मर्यादा पूर्वक जीवन व्यतीत करना चाहिए। बच्चों को धार्मिक पुस्तकें पढ़नी चाहिए जिनमें से मुख्य रूप से रामायण और श्रीमद भगवत गीता हैं I

उपसंहार:-> हमें दूसरी भाषाओं का भी अध्ययन करना चाहिए । दूसरों की संस्कृति के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए। लेकिन हमें कभी भी अपनी संस्कृति को नहीं भूलना चाहिए क्योंकि जो व्यक्ति अपनी संस्कृति को भूल जाता है ।उसका विनाश निश्चित होता है।


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