न) तुलसी और रहीम के अन्य दोहे ढूँढ़ो। उन्हें लिखो और कक्षा में लगाओ।
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तुलसीदास के अनमोल दोहे
~ स्थान, समय, कर्ता, कर्म और वचन का विचार करते ही कर्म करना चाहिए । जो इन बातों का विचार नहीं करते, वे कल्पवृक्ष के नीचे रहने पर भी दरिद्री और देवनदी गंगाजी के किनारे बसकर भी पापी बने रहते हैं। तुलसी किए कुसंग थिति, होहिं दाहिने बाम। कहि सुनि सुकुचिअ सूम खल, रत हरि संकर नाम।
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~ स्थान, समय, कर्ता, कर्म और वचन का विचार करते ही कर्म करना चाहिए । जो इन बातों का विचार नहीं करते, वे कल्पवृक्ष के नीचे रहने पर भी दरिद्री और देवनदी गंगाजी के किनारे बसकर भी पापी बने रहते हैं। तुलसी किए कुसंग थिति, होहिं दाहिने बाम। कहि सुनि सुकुचिअ सूम खल, रत हरि संकर नाम।
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