Hindi, asked by nishantsharma522733, 4 months ago

नोट: प्रश्न 1 से 5 तक के प्रश्नों के उत्तर निम्न गद्यांश को पढ़कर दीजिए। आज सभ्यता दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति कर रही है। सभ्यता का प्रचार प्रसार आज इतना हो रहा है कि ,हम आज प्रकृति देवी का अनादर करने में तनिक भी संकोच नहीं कर रहे हैं। इसी कारण हमारी सभ्यता के सामने प्रकृति देवी उपेक्षित हो रही है। वनों के निरंतर कटते जाना , धरती का नंगा रूप दिखाई देना, इस तथ्य को प्रमाणित करते हैं कि, हमने सभ्यता के नाम पर सब की बलि या तिलांजलि देना स्वीकार कर लिया है। प्रकृति के मुख से हरीतिमा की घटना हमारी उद्दंडता का परिचायक है ।जिस देवी द्वारा हमारा लालन-पालन हुआ, उसी को हम आज उदास और दुखी करने पर तुले हैं। क्या यह हमारे लिए शोभा यह सम्मान का विषय है ?सिकुड़ते वनों के कारण शुद्ध वायु व जल का धरातल पर मिलना मुश्किल हो रहा है। हमारा स्वास्थ्य व जीवन कष्टदायक हो रहा है ।वनों के अभाव में जंगली जानवरों की कमी के कारण प्रकृति का सहज संतुलन बिगड़ चुका है । 1 हम किस की उपेक्षा कर रहे हैं?

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Answered by vinith45
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Answer:

ifdududifvutiy. vjdhfydyeu. kgkgititustdh vmfjdufig vhzysswiypuphlb kbkvifif. mcjvlbv.chzuchzufidyxhxhlj✨✨⚠jddyduvjdytjpjpb kjdyrywtwoppupg k jjdhditot jvjfudrpyropv vmcjdjfjfjdoyoylseutov bkvitisysygohophlb lhogurufub gkfjdysysurypupj bkgifurusin. xydyidusydisufidigkhohohogkglgofiyiv mjfjfkbk

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