नीति संबंधी विभिन्न कवियों के रचनाओं का संकलन करना
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नीति संबंधी विभिन्न कवियों की रचनाओं का संकलन....
कबीर...
जिन ढूँढा तिन पाइयॉं, गहरे पानी पैठ।
मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ।।
अर्थ : अगर मोती पाना है तो गहरे पानी में छलांग लगानी ही पड़ेगी, किनारे पर बैठे रहने वालों को मोती नही कंकड़ पत्थर मिला करते हैं, अर्थात जीवन में कुछ पाना है तो परिश्रम और प्रयास करने रहना पड़ेगा केवल बैठे रहने से सफलता नही मिलती।
निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय।
बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।।
अर्थ: अपनी निंदा और आलोचना करने के हमेशा अपने साथ रखों, क्योंकि वो आपके दोषों को बताते रहेंगे, जिससे आपको अपनी गलती पता चले और आप स्वयं में सुधार कर सको। अर्थात अपनी आलोचना करने वालों से कभी घबराना नही चाहिये बल्कि उनकी बातों पर भी ध्यान देना चाहिये, ये निंदक लोग आपकी अगुण रूपी मैल को हटाने के लिये साबुन का कार्य करते हैं।
जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ग्यान।
मोल करो तलवार के, पड़ा रहन दो म्यान।।
अर्थ: किसी को उसके गुणों से पहचानों, उसकी वेशवूषा से नही। शरीर के अंदर के ज्ञान का महत्व होता है, शरीर का नही। जिस प्रकार असली उपयोग तो तलवार का है, म्यान का नही।
रहीम...
रहिमन वे नर मर चुके, जे कहुँ मांगन जाहिं।
उनते पहले वे मुए, जिन मुख निकसत नाहिं।।
अर्थ: रहीम कहते हैं कि वे लोग बिल्कुल मृतक के समान हैं, जो कर्महीन होकर केवल माँग कर खाते हैं। लेकिन उससे पहले तो वे लोग तो और भी मृतक के समान है, जो समर्थ होकर भी किसी जरूरतमंद के काम नही आ सकते, उसे कुछ दे नही सकते।
तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियत न पान।
कहि रहीम पर काज हित, संपति सचँहि सुजान।।
अर्थ: रहीम दास कहते हैं कि वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाता। सरोवर अपना पानी स्वयं नहीं पीता। उसी तरह जो सज्जन लोग होते हैं, वह अपनी संपत्ति का संचय अपने लिए नहीं करते बल्कि वह अपनी ज्ञान और अपनी संपत्ति दूसरों के हित के लिए लगा देते हैं। जिस तरह वृक्षों के फल दूसरों के काम आते हैं, सरोवर का पानी दूसरों के काम ही आता है, उसी तरह सज्जनों की संपत्ति भी सदैव दूसरों के काम ही आती है।
तुलीसदास...
तुलसी मीठे वचन ते, सुख उपजत चहुँ ओर।
वशीकरण एक मंत्र है, तज दे वचन कठोर।।
अर्थ: तुलसीदास कहते हैं कि मीठे बोलों का अपना ही महत्व है। हमेशा सदा विनम्र व्यवहार अपनाना चाहिए। किसी के साथ मीठे वचन का उपयोग करने से उसको अपने वश में किया जा सकता है। किसी को दो शब्द विनम्रता और मीठे बोल बोल कर उससे कोई भी कार्य करवाया जा सकता है। यह मीठे बोल एक वशीकरण का काम करते हैं जो कठोर से कठोर व्यक्ति के हृदय को पिघला देते हैं।