Social Sciences, asked by janak8378, 1 year ago

नात्सियों ने जनता पर पूरा नियंत्रण हासिल करने के लिए कौन-कौन से तरीके अपनाए?

Answers

Answered by nikitasingh79
71

उत्तर :  

नात्सियों ने जनता पर पूरा नियंत्रण हासिल करने के लिए निम्नलिखित तरीके अपनाए‌:  

(क) विरोधी दलों का दमन :  

जर्मनी का अधिनायक बनने के पश्चात हिटलर ने सभी विरोधी दलों को पाबंदी लगा दी। जर्मन संसद अथवा रीशटाग में नाज़ी दल के सदस्यों की संख्या सबसे अधिक थी। परिस्थितियों का लाभ उठाकर उसने अन्य सभी राजनीतिक दलों का दमन कर दिया। साम्यवादी व्यापार संघ तोड़ दिए गए तथा उनकी धनराशि ज़ब्त कर ली गई। हिटलर ने घोषणा कर दी कि जर्मनी में एक ही दल होगा और वह दल है नात्सी दल। इस प्रकार नात्सी दल का जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में प्रभुत्व छा गया।

(ख) तूफानी दस्ते :  

हिटलर ने स्वयं सेवक दल को एक प्रकार की पुलिस सेना में बदल दिया। यह सेना तूफानी दस्ते के नाम से प्रसिद्ध हुई। इस दस्ते का काम नात्सी पार्टी के विरोधियों को समाप्त करना था। इन्होंने हिटलर के उद्देश्य की पूर्ति में बहुत सहायता की।

(ग) गुप्तचर पुलिस अथवा गेस्टापो :  

हिटलर ने एक गुप्त पुलिस की व्यवस्था की। इसे गेस्टापो कहते थे।  इसकी शाखाओं का देशभर में जाल बिछा दिया गया। इस गुप्तचर पुलिस का प्रधान अधिकारी हिटलर का विश्वासपात्र मित्र हेनरिश हेमलर था। गुप्तचर पुलिस का यह संगठन इतना प्रबल था कि साधारण से साधारण तथा गुप्त से गुप्त घटना का पता भी हिटलर को समय से पूर्व लग जाता था।इस प्रकार यह पुलिस बहुत सफल रही तथा हिटलर को अपने उद्देश्य की पूर्ति में इससे बहुत मदद मिली।

(घ) शिक्षा, वीडियो तथा सिनेमा पर नियंत्रण :  

सभी विश्वविद्यालय तथा अन्य शिक्षा संस्थाओं पर सरकार का नियंत्रण था। विद्यार्थियों को नात्सी दल के उद्देश्य तथा आदर्शों से अवगत कराया जाने लगा था कि वे भविष्य में इसका समर्थन करें। इसी प्रकार रेडियो तथा सिनेमा भी नात्सी दल के प्रचार का साधन बन गए।

(ड़) छापेखाने पर नियंत्रण :  

छापेखाने पर सरकार का नियंत्रण था। किसी समाचार पत्र को नात्सी दल की आलोचना की आज्ञा नहीं थी। जो कोई भी नात्सी दल अथवा एक लड़की विरुद्ध लिखता था उसे कठोर दंड दिया जाता था।

(च) नज़रबंदी शिविर :  

हिटलर ने देश के अलग-अलग भागों में नजरबंदी शिविर बनवा रखे थे। जिस किसी पर भी नाज़ी दल के विरोधी होने का संदेह होता था उसे पकड़ लिया जाता था और बिना मुकदमा चला इन शिविरों में डाल दिया जाता था। वहां उन्हें अनेक प्रकार के कष्ट दिए जाते थे । हिटलर के इस कार्य से किसी को उसके विरुद्ध षड्यंत्र रचने का साहस न होता था।

(छ) साम्यवाद पर प्रतिबंध :  

हिटलर ने साम्यवादी दल पर प्रतिबंध लगा दिया तथा उसकी संपत्ति ज़ब्त कर ली। साम्यवादी ट्रेड यूनियन तोड़ दिए गए। 1933 में संसद भवन में आग लग गई जिसे समय पर बुझा दिया गया। हिटलर ने इसका ज़िम्मेदार साम्यवादियों को ठहरा कर उन्हें नजरबंदी शिविरों में भेज दिया।

(ज) यहूदियों पर अत्याचार :  

हिटलर ने खुले तौर पर घोषणा कर दी कि यहूदी देश के शत्रु है। उन्हीं के कारण जनमनी को प्रथम महायुद्ध में पराजय का मुंह देखना पड़ा था।  उसने लाखों यहूदियों को पकड़ कर जेल में डाल दिया । उसने उनकी संपत्ति ज़ब्त कर ली तथा उन्हें जर्मनी की नागरिकता से वंचित कर दिया।

सच तो यह है कि जर्मनी में तानाशाही शासन या नात्सीवाद का प्रभुत्व हिटलर के परिणाम स्वरुप ही हुआ । उसने समाचार पत्रों पर पाबंदी लगाई , रेडियो का मुंह बंद किया , तूफानी दस्तों का आयोजन किया तथा यहूदियों पर करारी चोटें की। उसने अपने दल के विरोधी तत्वों का नाश किया, संसदीय प्रणाली का अंत किया और गुप्तचर पुलिस की गतिविधियां बढ़ा दी। इस प्रकार जर्मन राज्य पर नात्सी शासन का कड़ा नियंत्रण स्थापित हो गया।

आशा है कि उत्तर आपकी मदद करेगा।।।

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Answered by ds206876
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Answer:

1933 ई0 में तानाशाह बनने के बाद हिटलर ने सभी शक्तियों को कब्जा लिया। उसने एक शक्तिशाली केन्द्रीय सरकार का गठन किया। उसने लोकतंत्र का ध्वंस कर दिया। उसके प्रशासन का आधार एक दले, एक नेता और पूर्णतः अनुशासित प्रशासन था। सभी विपक्षी दलों का कठोरता से दमन किया। गया। नाजी दल को छोड़कर बाकी सभी दलों पर रोक लगा दी गई। विपक्षी दलों के नेताओं की या तो हत्या कर दी गई या उन्हें जेल भेज दिया गया। वह अपने ही दल के उन लोगों को सजा देने में नहीं हिचकता था जो उसकी विचारधारा पर खरे नहीं उतरते थे।

जर्मनी एक पुलिसिया देश था। पूरे समाज को नात्सियों के हिसाब से नियंत्रित और व्यवस्थित करने के लिए विशेष सुरक्षा बलों जैसे कि स्टॉर्म टूपर्स या एसए के अलावा गेस्तापो (गुप्तचर राज्य पुलिस), (अपराध नियंत्रण पुलिस) एसएस (सुरक्षा बल) एसडी का भी गठन किया गया। हिटलर के जर्मन साम्राज्य की वजह से नात्सी राज्य को इतिहास में सबसे खुखार आपराधिक राज्य की छवि प्राप्त हुई। नाजियों ने जर्मनी की युद्ध में हार के लिए यहूदियों को जिम्मेदार ठहराया। यहूदी गतिविधियों पर कानूनी रूप से रोक लगा दी गई और उनमें से अधिकतर को या तो मार दिया गया या जर्मनी छोड़ने के लिए बाध्य किया गया।

मीडिया, पुस्तकों, थिएटरों, एवं शिक्षा आदि पर सरकार का पूरा नियंत्रण एवं निगरानी रखी जा रही थी।

चित्रों, फिल्मों, रेडियो, पोस्टर, नारेबाजी और पैम्पलेटों के द्वारा नाजी विचारधारा का प्रचार किया जा रहा था।

राष्ट्र के दुश्मनों को विशेष रूप से कमजोर एवं हीन (समाजवादी तथा उदारवादी) और छछंदर या हानिकारक कीट प्रजाति (यहूदियों को) के रूप में दिखाया जाता था।

सरकार ने भाषा और मीडिया का द्विअर्थी दक्षता के साथ प्रयोग किया और मीडिया को राष्ट्रीय समर्थन एवं अंतराष्ट्रीय लोकप्रियता मिली।

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