नोट- सभी प्रश्न करने अनिवार्य है
विजनिखिल अपाकिर गड्ड्याश को पाकर पूर्व शा परलो के उतर दीजिये।
रूसो और पुरुष समाज रूपी गाड़ी के पाहिए है। एक बिना दूसरे का जीवन अधूरा है, क्योंकि
समाज-रूपी गाड़ी को सुचारू रूप से चलाने के लिए दोनों ही पाक्षियों का स्वास्थ्य तथा सुदर होना आवश्यक
है। यदि इनमें से एक भी पहिया दुर्बल या दोषपूर्ण हुआ, तो समाज-रूपी गहरे के विकास का क्रम रुक जाएगा।
भारो यदि गृहस्थ जीवन को पतवार है, तो पुरुष उसका खेवैया। गृहस्थी की
दोनों पर हो आधारित है। इन्हीं कारणों से भारतीय संस्कृति में नारी को गुश-समो. गृह-देवी, सहमिणी, आधागिनी
आदि कहा गया है। मनु ने मनुस्मृति में लिखा है-'या नार्यस्तु पूज्यन्ते स्पले तर रेषता।'
पुरातन युग में नारी को बधा तथा विश्वास का सप समा जाता था यह किसी भी क्षेत्र में पुरुष से पीछे
थी। यहाँ तक कि पज को सफलता के लिए स्त्री और पुरुष दोनों का उसमें समान रूप से भाग लेना आवश्यक
माना जाता था। कुछ स्त्रियाँ तो रणभूमि में जाकर भी अपने पतियों को सहायता किया करती थी। पृथ्वी की-सी
क्षमता, सूर्य-जैसा तेज, समुद्र की-सी गंभीरता, चंद्रमा की-सी शीतलता, पर्वतों की-सी मानसिक उच्च
गुणों के कारण नारी घर में तथा घर के बाहर भी सम्मान को अधिकारिणी थी। मैत्रेयी, शकुंतला, सीता, अनुस्या
दमयाली, सावित्री, गागों आदि स्त्रियाँ इसके ज्वलंत उदाहरणा है।
उपर्युक्त गठ्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उचित विकल्प छाँटिए-
1. समाज रूपी गाड़ी के पहिए कौन है?
(क) समाज के कुछ लोग
(ग) समाज के पुरुष
Answers
Answered by
0
Answer:
pagal ladki yah to koi kuchh nahin hua yah bhi Bhala koi question hai
Answered by
0
Answer: None of these options....!
Similar questions
Physics,
3 months ago
World Languages,
3 months ago
Hindi,
6 months ago
Math,
11 months ago
Math,
11 months ago