नेता दारी से आप क्या समझते हैं नेतादरी के विभिन्न प्रकारों की व्याख्या कीजिए
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Explanation:
मोटे तौर पर वे सभी व्यक्ति, जो रक्त सम्बन्ध अथवा समाज द्वारा मान्य किसी निकट सम्बन्ध की परस्पर अनुभूति रखते है और तदनुरूप आपस मे व्यवहार करते है, नातेदार कहलाते है और इस पर आधारित समूह मे आन्तरिक विभेदीकरण एवं संगठन की व्यवस्था नातेदारी व्यवस्था कहलाती है।
नातेदारी के प्रकार या भेद
1. रक्त सम्बन्धी नातेदारी
यह नातेदारी व्यवस्था का वह प्रकार है जो रक्त सम्बन्धों पर आधारित होता है। रक्त सम्बन्धी नातेदारी समान रक्त के आधार पर निर्मित होती है। एक परिवार मे माता-पिता तथा उनके पुत्र और पुत्रियों के समान रक्त प्रवाहित होता है। माता-पिता का रिश्ता पति-पत्नी का ही नही होता वे प्राणीशास्त्रीय दृष्टि से भी सम्बंधित होते है। उनसे उत्पन्न होने वाले बच्चें उनके रक्त से जुड़े होते है। भाई-बहिन, पुत्र-पुत्री, पौत्र-पौत्री, रक्त सम्बन्धी नातेदार माने जावेंगेl
रक्त सम्बन्धी नातेदारी बहुत प्राचीनकाल से प्रचलित है पर कई जनजातियों मे सामाजिक व्यवधान रूधिर से सम्बंधित नातेदारी को भी अमान्य करार देते है। वहाँ कुछ ऐसी सामाजिक परम्पराएं एवं मान्यताएं होती है जिनकी संतुष्टि न मिलने पर रक्त सम्बन्धों की नातेदारियाँ नही बन सकती। अफ्रीका की कुछ जनजातियों मे अगर लड़का पिता द्वारा पैदा न हो तो भी पिता को उसका पिता बनाना पड़ता है। भारत की रोड़ा जनजाति मे सब भाइयों की एक ही पत्नी होती है तथा उनमे से किसी भी भाई को पितृत्व गृहण करने हेतु एक निश्चित सामाजिक प्रथा का निर्वाह करना पड़ता है। समाज उसे विधिमान्य पिता मानता है जब वह उसके द्वारा निर्मित सामाजिक कृत्य मे से गुजर लेता है। इस तरह रक्त सम्बन्धी नातेदारी हेतु कही-कही सामाजिक मान्यता जरूरी होती है।
2. विवाह सम्बन्धी नातेदार
पति और पत्नी मे विवाह के कारण दोनों पक्षों के अनेक व्यक्ति सामाजिक सम्बन्धों मे आबध्द हो जाते है। ये सभी व्यक्ति एक स्त्री और एक पुरूष के विवाह बन्धनों के कारण नातेदार बन जाते है। उदाहरण के दौर पर विवाह से पूर्व एक पुरूष जो किसी का पुत्र था अब वह किसी का दामाद, किसी का बहनोई, किसी का ननदोई, तथा तो किसी का साढू बन जाता है। इसी प्रकार से एक स्त्री जो विवाह से पहले किसी की पुत्री थी अब वह विवाह के बाद किसी की भाभी, किसी की बहू, किसी की मामी, किसी की चाची बन जाती है।
3. कल्पित नातेदारी
इस व्यवस्थानुसार यदि पुत्र न होने पर कोई व्यक्ति किसी को गोद ले लेता है तो उस गोद लिए गए व्यक्ति के साथ होने वाला सम्बन्ध कल्पित होगा। यह सम्बन्ध रक्तीय न होकर सामाजिक श्रेणी का होता है।
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