नृत्य में भाव का क्या महत्व है?
Kathak Terms
Answers
Answered by
2
Answer:
कत्थक नृत्य में रस और भाव का सम्बन्ध
भारत मुनि के अनुसार रस के बिना कोई भी नाट्यांग अर्थपूर्ण नहीं होता । उन्होंने कहा था कि भावानुकूल शरीर कि अवस्था को ही नृत्य कहते हैं । नृत्य के दर्शकों के मन में रस उत्पन्न करना ही कलाकार का लक्ष्य है । और भावों से ही रस कि उत्पत्ति होती है
I hope it's helpful
Answered by
0
नृत्य में भाव का बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है। इससे नृत्य में अलग निखार आ जाता हैं।
- नित्य के दर्शकों के मन में रस उत्पन्न करना ही कलाकार का लक्ष्य है और भावों से ही नृत्य की उत्पत्ति होती है मनुष्य के मानसिक स्थिति को भाव कहते हैं भाव से ही नृत्य की स्पष्टी होती है।
- जिस प्रकार मसाले ,सब्जी और गुड़ के साथ स्वाद या रस बनाया जा सके उसी प्रकार स्थाई भाव और अन्य भाव से नृत्य बनाया जा सकता है और ऐसा कोई स्थाई भाव नहीं है जो नृत्य की वृद्धि नहीं करता और इसी प्रकार स्थायीभाव ,विभाव ,अनुभव और आलंबंन भावों से नृत्य की वृद्धि होती है।
- एक नृत्य करने वाले के लिए नृत्य में भावों के माध्यम से अपने दर्शकों का मन जीतने हेतु नित्य भाव बहुत आवश्यक होता है। इसके माध्यम से यह मनोरंजन कर अपने दर्शकों के हृदय को जीत लेता है।
For more questions
https://brainly.in/question/8176758
https://brainly.in/question/49448989
#SPJ3
Similar questions