नृत्य से लाभ
(कथक)
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पत्थर के समान कठोर व दृढ़ प्रतिज्ञ मानव हृदय को भी मोम सदृश पिघलाने की शक्ति इस कला में है। यही इसका मनोवैज्ञानिक पक्ष है। जिसके कारण यह मनोरंजक तो है ही- धर्म- अर्थ- काम- मोक्ष का साधन भी है। स्व परमानंद प्राप्ति का साधन भी है।
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शरीर मे चूसती स्फूर्ति आती है । आलस चला जाता है । और एकाग्रता शक्ति बढ़ती है ।
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