नाट्यांशम् पठित्वा प्रश्नान् उत्तरत:
शालिनी : अधुना तु किमपि न वाञ्छामि |रात्रौ सर्वे:सह भोजनमेव करिष्यामि| (भोजनकालेऽपि मालाया:मनोदशा स्वस्था न प्रतीयते स्म ,परं सा मुखेन किमपि
नोक्त्वती )
राकेश: भगिनी शालिनि ! दिष्ट्या त्वं समागता |अद्य मम कार्यालये एका महत्वपूर्णा गोष्ठी सहसैव निश्चिता |अद्यैव मालाया:चिकित्सकया सह मेलनस्य समय:निर्धारित:|त्वं मालया सह चिकित्सकां प्रति गच्छ ,तस्या:परामर्शानुसारं यद्
विधेयम् तद् सम्पादय |
शालिनी : किमभवत् ? भ्रातृजायाया: स्वास्थ्यम् समीचीनं नास्ति ? अहम् तु ह्य: प्रभृति पश्यामि सा स्वस्था न प्रतिभाति इति प्रतीयते स्म |
1) दिष्ट्या का समागता ?
2) का किमपि नोक्त्वती ?
1) गोष्टी कुत्र निश्चिता ?
2) मालया: कया सह मेलनम् निर्धारितम् ?
3) कस्या:स्वास्थ्यम् समीचीनं नास्ति ?
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शेरशाह से भाग कर कहांँ मारा - मारा फिर रहा था ?
ख) हुमायूंँ की जान किसने और कैसे बचाई?
ग) बादशाह अकबर ने ब्राह्मण को कितने लोटे प्रदान किए? घ) कहांँ के म्यूजियम में लोटे का प्लास्टर का मॉडल रखा हुआ है?
ङ) यह गद्यांश किस पाठ से लिया गया है तथा इसके लेखक का नाम लिखिए।
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