Hindi, asked by dineshraj1058, 1 month ago

नित्य- यौवन छवि से ही दीप्त विशव की करुण कामना पूर्ति स्पर्श के आकर्षण से पूर्ण प्रकट करती ज्यो जड़ से स्फूर्ति

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Answered by shishir303
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नित्य- यौवन छवि से ही दीप्त विशव की करुण कामना पूर्ति

स्पर्श के आकर्षण से पूर्ण प्रकट करती ज्यो जड़ से स्फूर्ति

सप्रसंग व्याख्या : यह पंक्तियां जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित कविता ‘प्रेम और सौंदर्य’ से ली गई हैं. इन पंक्तियों के माध्यम से कवि जयशंकर प्रसाद ने श्रद्धा के सौंदर्य का वर्णन किया है।

कवि कहते हैं कि श्रद्धा असीम एवं अनंत सौंदर्य की शोभा से जगमगा रही थी। श्रद्धा संसार की सकल इच्छा की प्रतिमूर्ति थी। श्रद्धा को देख कर उसे स्पर्श करने की तीव्र कामना एवं उत्कंठा कवि के मन में उत्पन्न हो रही थी। श्रद्धा का सौंदर्य देखकर ऐसा लगता था कि उसका सौंदर्य वस्तुओं में भी सजीव चेतना भर देता है।  

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