Hindi, asked by sourabhsingh101037, 2 months ago

नाटक के पात्र एवं भाषा शैली उसके प्राण तत्त्व हैं। स्पष्ट कीजिए।​

Answers

Answered by AnanyaluvsBTS
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Answer:

पाश्चात्य विद्वानों ने नाटक के छह तत्व स्वीकार किए है - कथावस्तु, कथानक, पात्र, चरित्र चित्रण, कथोपकथन, देशकाल-वातावरण, भाषाशैली और उद्देश्य। यह नाटक का प्राणतत्व है। कथावस्तु ऐतिहासिक, पौराणिक, कल्पित, मिश्रित किसी भी प्रकार की हो सकती है। ... तथा नाटक का अंत प्रायः दुखांत होता है।

Answered by rashmimaheshwari9491
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Answer:

good afternoon

Explanation:

अभिनय मुख्यत चार प्रकार का होता है - आंगिक, वाचिक, आहार्या, सात्विक। हिंदी के आधुनिक नाटकों तथा नाट्यलोचन पर पाश्चात्य नाटक तथा नाट्यलोचन का पर्याप्त प्रभाव देखा जा सकता है। पाश्चात्य विद्वानों ने नाटक के छह तत्व स्वीकार किए है - कथावस्तु, कथानक, पात्र, चरित्र चित्रण, कथोपकथन, देशकाल-वातावरण, भाषाशैली और उद्देश्य।

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