नाटक के तत्व लिखते हुए 'संवाद' को समझाइए ?
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नाटक के तत्व इस प्रकार हैं...
- कथावस्तु
- पात्र एवं चरित्र-चित्रण
- संवाद
- अभिनय
- देशकाल व वातावरण
- भाषा शैली
- उद्देश्य
नाटक में संवाद तत्व : नाटक में संवाद तत्व बेहद महत्वपूर्ण होता है। संवाद से तात्पर्य पात्रों के बीच होने वाले वार्तालाप से होता हैं।
- नाटक में संभाद तत्व सरल एवं सुबोध भाषा में होना चाहिए, जिसे दर्शक सहजता से समझ सके।
- संवाद में बहुत अधिक गंभीरता या कठिनता नहीं होनी चाहिए नहीं तो दर्शक को विषय समझने में बाधा उत्पन्न होती है।
- संवाद ऐसे होने चाहिए जो दर्शकों के सहज समझ आ सकें।
- संवाद पात्र और विषय परिस्थिति के अनुकूल होने चाहिए।
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Explanation:
नाटक ‘ अथवा ‘ दृश्य काव्य ‘ साहित्य की अत्यंत प्राचीन विधा है। संस्कृत साहित्य में इसे ‘ रूपक ‘ नाम भी दिया गया है।
नाटक का अर्थ है ‘ नट ‘ |
कार्य अनवीकरण में कुशल व्यक्ति संबंध रखने के कारण ही विधा में नाटक कहलाते हैं।
वस्तुतः नाटक , साहित्य की वह विधा है , जिसकी सफलता का परीक्षण रंगमंच पर होता है। किंतु रंगमंच युग विशेष की जनरुचि और तत्कालीन आर्थिक व्यवस्था पर निर्भर होता है इसलिए समय के साथ नाटक के स्वरुप में भी परिवर्तन होता है।
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