नाटक-लेखन' में संवाद तत्व की कोई तीन विशेषताएँ लिखिए।
अथवा
कहानी-लेखन में चरित्र-चित्रण के महत्व के तीन बिन्दुओं (विशेषताओं) पर प्रकाश
डालिए।
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¿ नाटक-लेखन' में संवाद तत्व की कोई तीन विशेषताएँ लिखिए।
✎... किसी में नाटक में संवाद तत्व उस नाटक का प्राण तत्व होता है। नाटक लेखन में संवाद तत्व की तीन विशेषताएं इस प्रकार हैं...
- संवाद के माध्यम से लेखक अपनी बात कह सकने में अधिक सक्षम होता है। वह पात्रों द्वारा बोले जाने वाले संवाद के माध्यम से अपने विचारों को प्रकट करता है।
- संवाद नाटक को प्रवाहमय बनाते हैं और दर्शकों अथवा पाठकों की रुचि नाटक में बनी रहती है।
- संवाद के माध्यम से गंभीर, दार्शनिक एवं गूढ़ बातों को भी सरल भाषा में कह कर उसे आम दर्शक को या पाठकों को समझाया जा सकता है।
¿ कहानी-लेखन में चरित्र-चित्रण के महत्व के तीन बिन्दुओं (विशेषताओं) पर प्रकाश डालिए।
✎... कहानी लेख में चरित्र-चित्रण के महत्व के तीन बिंदु (विशेषता) इस प्रकार हैं...
- कहानी में पात्रों का चरित्र चित्रण पात्रों की अभिरुचि को प्रदर्शित करता है।
- कहानी के पात्रों के चरित्र चित्रण के माध्यम से पूरी कहानी की विषय-वस्तु स्पष्ट होती है।
- पात्रों के चरित्र-चित्रण के द्वारा कहानी में वर्णित नैतिक-अनैतिक बातों को भी स्पष्ट किया जाता है।
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