नाटक लेखन में समय के बंधन का क्या महत्व है
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'समय का बंधन' नाटक की रचना प्रक्रिया पर पूरा प्रभाव डालता है। इसीलिए यह निश्चित किया जाता है कि नाटक निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरा होना चाहिए।
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नाटक लेखन में समय के बंधन का क्या महत्व है
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'समय का बंधन' नाटक की रचना प्रक्रिया पर पूरा प्रभाव डालता है। इसीलिए यह निश्चित किया जाता है कि नाटक निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरा होना चाहिए। नाटक को वर्तमान काल में ही संयोजित करना होता है भले ही वह भतूकाल या भविष्यकाल की रचनाओं पर आधारित हों। काल चाहे कोई भी हो उसे एक विशेष समय में, एक विशेष स्थान पर वर्तमान काल में ही घटित होना होता है। साहित्य की अन्य विधाओं, कहानी, उपन्यास या कविता को पढ़ते या सुनते हुए हम बीच में रूक सकते हैं और कुछ समय बाद वहीं से शरू कर सकते हैं परंतु नाटक साथ ऐसा करना संभव नहीं है नाटककार को इस बात का ध्यान भी रखना होता है कि दर्शक कितनी देर तक किसी घटना को घटित होते हुए देख सकते हैं। नाटककार से अपेक्षा की जाती है कि नाटक के प्रत्येक अंक की अवधि कम से कम 48 मिनट की हो यही समय का बंधन कहलाता है।
नाटक का मंचन सदैव वर्तमान काल में किया जाता है, जिसे एक निश्चित समय के अंतराल पर आरंभ तथा समापन किया जाना चाहिए। नाटककार को समय प्रबंधन का विशेष ध्यान रखना चाहिए। किसी भी दर्शक के पास समय व्यर्थ करने का आग्रह नहीं होता। अतः वह एक नाटक को देखने अथवा उसे अनुभव करने के लिए बैठता है, ज्यादा अधिक समय लगने से नाटक में बोरियत होती है।
अतः नाटक में समय का बंधन आवश्यक है।
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नाटक लेखन में समय के बंधन का क्या महत्व है?
नाटक लेखन में समय के बंधन का अत्यंत महत्व है। नाटक इस प्रकार लिखा जाना चाहिए कि इसका मंचन सरलता से हो सके और वह एक निश्चित समय सीमा के अंदर समाप्त हो जाए।
कोई भी नाटक देखने आने वाला दर्शक मनोरंजन का भाव लिए अवश्य आता है। भले ही वह नाटक किसी समस्या पर केंद्रित क्यों ना हो, लेकिन दर्शक का मुख्य उद्देश मनोरंजन भी होता है। मनोरंजन के लिए आवश्यक समय सीमा के भीतर नाटक को समाप्त कर देना चाहिए। अधिक लंबा नाटक उबाऊ हो जाता है जो कि दर्शक को नाटक से दूर कर सकता है। इसलिये नाटक लेखन करते समय उसका समय संयोजन इस प्रकार किया जाये कि वो सही समय सीमा के अंदर समाप्त हो जाये और दर्शक बोरियत से बच सके। कम और सटीक शब्दों मे कही गयी बात लंबी और उबाऊ बातों की अपेक्षा अधिक प्रभाव डालती है। इसलिये नाटक लेकन में समय के बंधन का अत्यन्त महत्व है।
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