नाटक में बच्चों ने अपनी बात को कई बार कविता की तरह कहा है जैसे
टिंकू ने पकाई बड़ियाँ,
चुन्नू ने पकाई दाल
टिंकू की बड़ियाँ जल गई,
चुन्नू का बुरा हाल
अब तुम भी नीचे लिखी पंक्तियों में कुछ जोड़ो
घंटी बोली टन टन टन
कहाँ चले भई कहाँ चले
रेल चली भई रेल चली
कल की छुट्टी परसों इतवार
रोटी दाल पकाएँगे
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